भगवान तन की सुन्दरता नहीं भगवान राम मन की सुंदरता देखते हैं परम तपस्वी ज्ञान मूर्ति श्री महंत रघुवीर दास महाराज

सम्पादक प्रमोद कुमार
हरिद्वार 2 सितंबर 2025( वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद) प्रसिद्ध श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े में आश्रम के परमाध्यक्ष अनंत विभूषित त्याग मूर्ति परम तपस्वी श्री महंत रघुवीर दास महाराज ने भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से श्री राम महिमा का गुणगान करते हुए कहा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम इस सृष्टि के कण-कण में समाये हुए हैं जिसके हृदय में दूसरों के प्रति दया का भाव बसता है उसके हृदय में साक्षात भगवान राम समाये हुए हैं जिसके मन में प्रेम समाया हुआ है उसके शरीर के रोम रोम में राम समाये हुए हैं सुंदर भजन के माध्यम से कहा राम जी की महिमा है अगम अपार मर्यादा पुरुषोत्तम धाम के आधार इस दुनिया में और न दूजा स्वामी कोई हमारा है जो कुछ आज है मेरे पास है भगवान सब कुछ राम तुम्हारा है करुणा का जहां सागर बहता ऐसा हृदय तुम्हारा है ना मैं मांगू धन और दौलत जग मेरे किस काम का मेरी नैया को मेरे भगवान तुम ही एक किनारा हो इस मानव जीवन को सार्थक करने की कुंजी भगवान राम के नाम में समायी हुई है राम ही युक्ति राम ही मुक्ति राम करे उध्दार रे राम ही सूरत राम ही मूरत राम सक्ल संसार रे तुझ में राम मुझ में राम फिर कहां पगले ढूंढे राम भगवान राम माता जानकी सदैव दयावान लोगों के हृदय में वास करते हैं जिसके हृदय में दया का भाव बसा है जिसके हृदय में प्रेम बसा है जिसके हृदय में राम का भजन समाया हुआ है भगवान राम तो सदैव उसी के हृदय में वास करते हैं मेरे राम आयेंगे सीता संग आयेंगे भ्राता लक्ष्मण और हनुमान आयेंगे मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जायेंगे राम आएंगे जिसके मन में यह भाव बसा है राम सदैव उसकी नैया पार लगाने के लिए अवश्य आते हैं अगर आवश्यकता है तो सच्चे मन से भगवान राम को पुकारने भगवान राम में आस्था की जिनकी आस्था सच्ची है भगवान राम कभी उसकी उम्मीदों की डोर तोड़ते नहीं भगवान तो सदैव भक्तों से मिलने के लिये उत्सुक रहते हैं तुम उन्हें सच्चे हृदय से पुकारो तो सही सच्ची आस्था अपने मन में जगाओ तो सही भगवान तुम्हें मिलने के लिये दौड़े चले आयेगे राम से बड़ा राम का नाम भगवान राम से बड़ी भगवान राम नाम की महिमा है जब पत्थर पर लिखने से पत्थर तैर सकते हैं तो राम नाम की गाथा गाने से यह मनुष्य जीवन धन्य और सार्थक होने के साथ-साथ राम नाम की महिमा की नैया में सवार होकर भवसागर पार हो जायेगा भजन करने के लियें समय की आवश्यकता नहीं जब भी जहां भी समय मिले राम नाम की महिमा की माला मन ही मन फेरे और साबरी की तरह सबर रखें क्योंकि जो एकाग्र है उसके मन में सदैव धैर्य तथा संतोष धारण होना चाहिये मन की एकाग्रता राम भजन का प्रताप आपके मानव जीवन को सार्थक कर देगा परम तपस्वी ज्ञान मूर्ति श्री महंत रघुवीर दास जी महाराज ने कहा अगर मुक्ति चाहते हो तो युक्ति जय सियाराम जय जय सियाराम जय सियाराम जय जय सियाराम के नाम के जाप में छपी है जितना सुंदर आपका मन होगा जितने सुंदर आपके के विचार होंगे उतनी ही सरलता से आपके जीवन का उद्धार हो जायेगा भगवान महलों में नहीं झोपड़ी में बसे भक्तों के द्वारा जाना पसंद करते हैं भगवान 56 भोग नहीं सूखी रोटी का भोग लगाने वालों के भोग को स्वीकार करते हैं भगवान राम ऊपरी मन से आराधना करने वालों को नहीं तन और मन से भगवान राम की आराधना करने वालों को पसंद करते हैं भगवान राम सब जानते हैं भगवान राम सभी जीवो मनुष्यों के साथ-साथ इस सृष्टि के कण-कण में समाये हुए हैं भगवान राम नहीं कहते की अपनी जिम्मेदारियों से विरक्त होकर अपने कर्तव्यों से विमुख होकर उनका भजन करें भगवान कुछ पल की सच्चे मन की आराधना से प्रसन्न हो जाते हैं भगवान राम बड़े ही दयालु हैं और भगवान राम को खुश करने से पहले उनके परम भक्त वीर बजरंगबली हनुमान को मानना पड़ता है।