5 September 2025

सनातन संस्कृति ईश्वर पथ की और ले जाने वाली महान परंपरा है श्री महंत श्यामसुंदर महाराज

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सम्पादक प्रमोद कुमार

हरिद्वार (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद) श्यामपुर स्थित श्री श्याम वैकुंठ धाम के परमाध्यक्ष परम तपस्वी ज्ञान मूर्ति 1008 श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने अपने श्री मुख से भक्तजनों के बीच उद्गार व्यक्त करते हुए कहा सनातन केवल संस्कृति ही नहीं हिंदुत्व की आत्मा है जो सांस के रूप में हम लोगों के शरीर में भी प्रवाहित होती है यह सनातन संस्कृति भगवान राम द्वारा स्थापित संस्कृति है इसके रोम रोम में भगवान द्वारा प्रदत्त मार्ग झलकता है आज संपूर्ण विश्व यूं ही नहीं इस संस्कृति को अपनाने के लियें आतुर है सनातन सत्य है सनातन सर्वोपरि है और सनातन भारत की आत्मा है जो परंपरा रहन-सहन और विचार हमें हरि की शरण में ले जाते हैं वही सनातन है और वही सर्वोपरि जहां सनातन है वहां ईश्वर का वास है और यह मार्ग हमें गुरुजनों के मार्गदर्शन से प्राप्त होता है सत्य के मार्ग पर चलने के लियें पश्चात संस्कृति का मोह त्यागना पड़ता है अगर आप सनातन संस्कृति के रहन-सहन और जीवन यापन की विधि को अपना रहे हैं तो आपको भजन की भी आवश्यकता नहीं क्योंकि सदैव निर्मल मन ही सत्य के मार्ग पर चलता है और जिसका मन निर्मल होता है जिसके मन में दया भाव दूसरों के प्रति सम्मान और ईश्वर की आस्था बसी रहती है उसे किसी भक्ति की आवश्यकता नहीं क्योंकि वह खुद भक्ति मार्ग पर चल रहा है जो भक्ति मार्ग पर है भक्ति स्वतः ही उसका वर्ण कर रही है इस अवसर पर बोलते हुए परम वंदनीय ज्ञान मूर्ति महामंडलेश्वर 1008 परम पूज्य श्री राजेश्वर दास जी महाराज ने कहा अगर सनातन संस्कृति का और अधिक उत्थान करना है तो हमें अपनी आत्मा को जगाना क्योंकि आत्मा में साक्षात परमात्मा का वास है और आत्म ज्ञान हमें विद्यापीठों के माध्यम से प्राप्त होता है इसलिए हमें संकल्प लेना होगा कि हम हर मंदिर आश्रम के साथ-साथ एक गुरुकुल की भी स्थापना करें क्योंकि जब आज का युवा शिक्षित होगा संस्कारवान होगा तो सनातन की गंगा स्वातःही संपूर्ण विश्व में प्रवाहित होने लगेगी धर्मगुरु धर्म स्थल सनातन की आत्मा हैइन पर किसी भी प्रकार का प्रहार बर्दाश्त नहीं किया जायेगा हमें आवश्यकता है पश्चात संस्कृति को त्याग कर इस भारत भूमि की सनातन संस्कृति को अपनाने की अपने आचारों विचारों में वापस आने की भारत विश्व में धर्मगुरु यूं ही नहीं है उसने आत्मा को जगा दिया है और उसमें साक्षात परमात्मा के वास का वर्णन करा दिया है आज विदेशी लोग हमारे देश में आध्यात्म सीख कर विदेश में जाकर अन्य लोगों को भी ईश्वर की सनातन परंपरा को धारण करने का गुणगान करने के लियें संपूर्ण विश्व में अखंण्ड यज्ञ चल रहा है हमारी संस्कृति ही ईश्वर में हमारी आस्था और विश्वास की झलक दिखा देती है हमारी आस्था हमें साक्षात भगवान श्री हरि भगवान श्री राम के चरणों में पहुंचा देती है बोलो श्री राधे राधे।

 

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