1 September 2025

साकेतवासी पूज्य स्वामी गोविंद दास महाराज (गंगोत्री वाले) का श्रद्धांजलि समारोह एवं खोडषी समष्टि भण्डारा आयोजित किया गया।

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सम्पादक प्रमोद कुमार 
मनोज ठाकुर,हरिद्वार भूपतवाला रानीगली स्थित श्री महंत 1008 स्वामी पुरुषोत्तमआचार्य जी महाराज के नारायण आलयम आश्रम में श्री हनुमान मंदिर गंगोत्री धाम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी गोविंद दास जी महाराज का षोडसी समष्टि भंडारा भक्तजनों द्वारा बड़े ही धूमधाम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महंत 1008 स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने की। विरक्त वैष्णो मंडल संत समाज ऋषिकेश दिल्ली हरिद्वार तथा गंगोत्री के पावन संतों की गरिमामई उपस्थिति में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए नारायण अलायम, रानी गली, हरिद्वार के यशस्वी उत्तराधिकारी स्वामी लक्ष्मणदास जी महाराज ने कहा परम पूज्य स्वामी गोविंद दास जी महाराज ज्ञान और त्याग का एक विशाल सरोवर थे। उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान करने के बाद भक्तजन अपने जीवन को धन्य और कृतार्थ किया करते थे। पूज्य स्वामी जी ज्ञान और त्याग की एक अखंड मूर्ति थे। उन्होंने सनातन परंपरा को और अधिक आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया। भक्तों को कल्याण का मार्ग दिखाया। नारायण अलायम रानी हरिद्वार के संस्थापक 1008 भागवत भूषण जम्मू कश्मीर पीठाधीश्वर रामानुज सम्प्रदायाचार्य पूज्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा ऐसे तपस्वी साधु संत समाज कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। भक्तों के कल्याण के लिए सदैव तपस्या में लीन रहते हैं, महापुरुष कभी मरा नहीं करते। साकेतवास ब्रह्मलीन होते हैं । वह अपने दिए गए संस्कारों तथा ज्ञान के माध्यम से भक्तजनों के बीच सदैव विद्यमान रहते हैं । परम पूज्य स्वामी गोविंद जी महाराज ने अपने गंगोत्री धाम के स्थान को समाजसेवी पूज्य संत हनुमान वाटिका रामलीला मैदान दिल्ली के संस्थापक परम पूज्य संत कुलभूषण स्वामी रामकृष्णदास जी महाराज को लगभग 25 वर्ष पूर्व सौंप दिया था। आज श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय सन्त स्वामी नवल किशोर दास महाराज, स्वामी दयाराम दास महाराज, स्वामी ईश्वर दास जी महाराज, पंडित अशोक सेमवाल, फलारी बाबा सीताराम दास, स्वामी भारतभूषण दास, बाबा हठयोगी महाराज , महामंडलेश्वर दुर्गादास महाराज , स्वामी रामकृपाल दस जी महाराज, स्वामी प्रणव दास जी महाराज, महंत शत्रुघ्न दास, स्वामी दयाराम दास , महंत जयरामदास, स्वामी चतुर्भुज दास महाराज, धर्मदास महाराज, श्री रामनाथ मिश्रा सहित भारी संख्या में संत महंत और भक्तगण उपस्थित थे।

 

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