15 September 2025

परमार्थ निकेतन में मेदांता द मेडिसिटी के विशेषज्ञों द्वारा दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) प्रशिक्षण का शुभारम्भ

विज्ञापन

प्रमोद कुमार हरिद्वार

ऋषिकेश, 26 April, परमार्थ निकेतन में मेदांता द मेडिसिटी के विशेषज्ञों द्वारा दो दिवसीय बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और सेवा टीम को दिया जा रहा है।
मेदांता द मेडिसिटी की टीम ने डा ईशान वर्द्धन, बीएलएस प्रशिक्षक मेघन बीएलएस कैम्प मैनेजर राज, निखिल मिश्रा, डा सुपर्णा जोशी, ब्रज ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। टीम ने स्वामी जी के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्वलित कर प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया।
डा ईशान वर्द्धन और बीएलएस प्रशिक्षक मेघना ने कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण दिया। जीवनरक्षक तकनीक कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) अर्थात् किसी की सांस या दिल की धड़कन रुक गई हो, उदाहरण के लिए, जब किसी को कार्डियक अरेस्ट, (जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। मस्तिष्क और अन्य अंगों में रक्त के प्रवाह में कमी के कारण व्यक्ति बेहोश हो सकता है) ऐसे समय तेज छाती संपीड़न के साथ सीपीआर शुरू करने की सलाह डाक्टर देते हंै।
उन्होंने बताया कि सीपीआर से पहले देखे कि पीड़ित की नाड़ी और सांस चल रही है। यदि 10 सेकंड के भीतर कोई नाड़ी या सांस नहीं चल रही है, तो छाती को दबाना शुरू करें। दो बचाव साँसें देने से पहले छाती को 30 बार दबाने के साथ सीपीआर शुरू करना चाहिये। प्रति मिनट 100 से 120 की दर से छाती को दबाएं।
उन्होंने बताया कि वयस्कों, बच्चों और शिशुओं को सीपीआर की आवश्यकता होती है, लेकिन नवजात शिशुओं को नहीं। ज्ञात हो कि नवजात शिशु 4 सप्ताह तक के शिशु होते हैं।
सीपीआर मस्तिष्क और अन्य अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह को तब तक बनाए रख सकता है जब तक कि आपातकालीन चिकित्सा उपचार सामान्य हृदय गति को बहाल नहीं कर देता। जब हृदय रुक जाता है, तो शरीर को ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता है। ऑक्सीजन युक्त रक्त की कमी से कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क क्षति हो सकती है।
इस अवसर पर डा ईशान वर्द्धन और बीएलएस प्रशिक्षक मेघना ने सीपीआर और स्वचालित बाहरी डिफिब्रिलेटर (एईडी) का उपयोग कैसे किया जाये इस विषय में भी जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि सीपीआर शुरू करने से पहले नाड़ी जांच लें, यह भी देखे कि क्या वातावरण पीड़ित व्यक्ति के लिए सुरक्षित व उपयुक्त है? यह भी देखना जरूरी है कि क्या व्यक्ति सचेत है या अचेतन? यदि व्यक्ति बेहोश दिखाई दे, तो उसके कंधे को थपथपाएँ या हिलाएँ और जोर से पूछें, ’क्या आप ठीक हैं?’ यदि व्यक्ति जवाब नहीं देता है और आपके साथ कोई अन्य व्यक्ति हैं जो मदद कर सकता है, तो एक व्यक्ति को स्थानीय आपातकालीन नंबर पर कॉल करने को कहें और यदि वहां एईडी उपलब्ध हो तो प्राप्त करें तथा दूसरे व्यक्ति को सीपीआर शुरू करने के लिए कहें। एईडी उपलब्ध हो, डिवाइस द्वारा निर्देश दिए जाने पर एक झटका दें, फिर सीपीआर शुरू करें।
संपीड़न का अर्थ है कि आप अपने हाथों का उपयोग करके व्यक्ति की छाती को एक विशिष्ट तरीके से जोर से और तेजी से दबाते हैं। सीपीआर में संपीड़न सबसे महत्वपूर्ण चरण है। सीपीआर कंप्रेशन करने के लिए इन चरणों का पालन करें- व्यक्ति को उसकी पीठ के बल किसी सख्त सतह पर लिटाएं। व्यक्ति की गर्दन और कंधों के बगल में घुटने टेकें। अपने हाथ की निचली हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में, निपल्स के बीच में रखें। अपने दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रखें। अपनी कोहनियों को सीधा रखें. अपने कंधों को सीधे अपने हाथों के ऊपर रखें।
छाती को सीधे नीचे की ओर कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) दबाएं लेकिन 2.4 इंच (6 सेंटीमीटर) से अधिक नहीं। दबाव डालते समय केवल अपनी भुजाओं का ही नहीं, बल्कि अपने पूरे शरीर के वजन का उपयोग करें। प्रति मिनट 100 से 120 संपीड़न की दर से जोर से धक्का दें। प्रत्येक धक्का के बाद छाती को पीछे की ओर झुकने दें। यदि आपने 30 बार छाती को दबाया है, तो सिर-झुकाव, ठोड़ी-लिफ्ट करके व्यक्ति के वायुमार्ग को खोलें। अपनी हथेली व्यक्ति के माथे पर रखें और धीरे से सिर को पीछे की ओर झुकाएं। फिर दूसरे हाथ से वायुमार्ग को खोलने के लिए धीरे से ठुड्डी को आगे की ओर उठाएं।

 

विज्ञापन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Sakshar Haridwar Powered by www.WizInfotech.com.