18 September 2025

परमार्थ निकेतन गंगा तट पर 34 दिवसीय श्री राम कथा का विश्राम और श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ

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प्रमोद कुमार हरिद्वार

ऋषिकेश, 19 जून। परमार्थ निकेतन में कथा व्यास श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी पधारे। परमार्थ निकेतन, माँ गंगा के पावन तट पर आज परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में अष्टोत्तरशत 108 – श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ कथा व्यास श्री देवकीनन्द ठाकुर जी के श्रीमुख से हुआ।
परमार्थ निकेतन विभिन्न संस्कृतियों के संगम का अद्भुत केन्द्र है। संत मुरलीधर जी के श्रीमुख से प्रवाहित हो रही 34 दिवसीय श्री राम कथा का विश्राम हुआ और उन्हें परमार्थ निकेतन से बड़े ही सात्विक रूप में रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कि विदा किया। परमार्थ निकेतन से संत श्री मुरलीधर जी ने विदा लेते हुये कहा कि पूज्य स्वामी जी के सान्निध्य में 34 दिवसीय श्री रामकथा गाने के पश्चात अब यहां से जाने का मन नहीं करता। वास्तव में मां गंगा तट, परमार्थ निकेतन का दिव्य वातावरण स्वर्ग के समान है। उन्होंने बताया कि आगामी वर्ष 2025 में 15 मई से 17 जून पुनः पर्यावरण संरक्षण व मां गंगा जी को समर्पित श्री राम कथा का दिव्य आयोजन किया जायेगा। यह इतना श्रेष्ठ व आनन्ददायक स्थान है कि 2025 कथा में सहभाग के लिये श्रद्धालु परमार्थ निकेतन से जाने के पहले ही अपनी बुकिंग करवा के जा रहे है। वास्तव में यह इस पवित्र स्थान, पूज्य स्वामी जी की सादगी, सरलता व स्नेह का ही प्रताप है।
श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी ने कहा कि कथाओं का गायन और श्रवण तो कई दिव्य स्थानों पर किया परन्तु परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी जी महाराज के पावन सान्निध्य में प्रथम बार अष्टोत्तरशत 108 – श्रीमद् भागवत कथा के गायन का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। अद्भुत है परमार्थ गंगा तट की दिव्यता जो स्वतः ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। आज प्रथम दिवस का अनुभव व प्रथम दिवस की गंगा आरती का अनुभव अद्भुत है। यहां पर कथा गायन व श्रवण के साथ जो पूज्य संतों का पावन सान्निध्य प्राप्त होता है वह दिव्यता से परिपूर्ण है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कथायें, जागरण का उत्कृष्ट केन्द्र है। ब्रज की रज सहित पूरे भारत की मिट्टी व गंगाजी, यमुना जी सहित सभी नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है सिंगल यूज प्लास्टिक। हमारी धरती व नदियों में सिंगल यूज प्लास्टिक की मात्रा बढ़ती जा रही है जिससे भारत भूमि की पवित्र रज (मिट्टी) व जल दोनों प्रदूषित हो रहे हैं। कथायें बाहरी और भीतरी प्रदूषण के शमण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। अब समय आ गया है कि हमारे कथाकार, कथा व्यास एक हाथ में पोथी और दूसरे हाथ में पौधा लेकर कथा का शुभारम्भ हो या विश्राम पौधा रोपण का संकल्प अवश्य कराये। हमें एक बात याद रखनी होगी कि ये अविरल, निर्मल नदियां हैं तो हमारे तीर्थ हैं, यात्रायें हैं, कथायें हैं। नदियां नहीं कुछ भी नहीं इसलिये कथाओं का शुभारम्भ कलशयात्रा से हो और विश्राम पौधा रोपण से हो। हजारों हजारों श्रद्धालु कथा को श्रवण करने आते हैं अगर सभी ने एक-एक पौधे का रोपण भी किया तो हमारी ये धरती माता हरी-भरी हो जायेगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संत श्री मुरलीधर जी को रूद्रक्ष का दिव्य पौधा भेंट का परमार्थ निकेतन से विदा किया।

 

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