हरियाली तीज न केवल महिलाओं के सौंदर्य और श्रृंगार का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति के सौंदर्य और श्रृंगार का भी प्रतीक है- रश्मि रानी

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प्रमोद कुमार सम्पादक 

हरिद्वार हरियाली का त्यौहार मौ.कडच्छ गली नं -4 ज्वालापुर हरिद्वार मे बड़ी धूमधाम से मनाया गया।कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीमती रश्मि रानी द्वारा किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत हरियाली तीज के गीत गाकर व झूला झुलकर की गई व मिष्ठान वितरण कर किया गया।

 

इस अवसर श्रीमति रश्मि रानी ने कहा कि हरियाली तीज का बड़ा ही दिव्य इतिहास है। हरियाली तीज, भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि देवी पार्वती ने 108 जन्मों तक कठोर तपस्या की। भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति, प्रेम और अटूट आस्था थी उसी के प्रतीक के रूप में प्रतिवर्ष हरियाली तीज मनायी जाती है।
हरियाली तीज,प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण का प्रतीक है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, झूला झूलती हैं, और लोकगीत गाती हैं तथा शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। यह पर्व समर्पण और समृद्ध वैवाहिक जीवन का प्रतीक है।
हरियाली तीज का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। यह पर्व न केवल महिलाओं के सौंदर्य और श्रृंगार का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति के सौंदर्य और श्रृंगार का भी प्रतीक है, जो हमें प्रकृति के साथ गहरे संबंधों को भी दर्शाता है। हरियाली तीज का उत्सव मनाने के साथ ही अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों में पेड़-पौधों का रोपण अवश्य करें। जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त हो सके।

सुमित्रा देवी ने बताया कि हरियाली तीज का पर्व हमें प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण का संदेश देता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। हरियाली तीज का पर्व हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में हरियाली और खुशहाली को बनाए रखें और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहें।
हरियाली तीज के इस पावन अवसर पर सभी ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लिया। सभी ने हर्षाेल्लास के साथ हरियाली तीज का पर्व मनाया।

हरियाली तीज कार्यक्रम मे मुख्य रूप से रश्मि रानी
 सुमित्रा देवी, रीना,मीनाक्षी,ओमवती,पूजा,अनीता, त्रिशा,प्रिशा आदि महिलाए बच्च उपस्थित हुए। 

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