पार्वती मिलन के कारण भगवान शिव को अतिप्रिय है सावन माह: स्वामी रामभजन वन

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सम्पादक प्रमोद कुमार

 

 

हरिद्वार/डरबन। निरंजनी अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन जी महाराज ने कहा कि देवशयनी एकादशी के साथ ही सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में है।इसी के साथ चातुर्मास का भी प्रारम्भ हो जाता है। चातुर्मास के प्रारंभ में भगवान शिव पूरे सावन माह में कैलाश पर्वत से आकर अपनी ससुराल दक्ष प्रजापति की नगरी कनखल (हरिद्वार) में विराजमान होते है। भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए शिवभक्त जल चढ़ाकर पूजा अर्चना कर मनोकामना पुर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसी माह में उत्तर भारत की सबसे बड़ी कांवड़ यात्रा संपन्न होती है। अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए कांवरिया सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कल शिवरात्रि पर जलाभिषेक करते हैं।

शिव शक्ति मेडिटेशन सेंटर, साऊथ अफ्रीका के संस्थापक

स्वामी रामभजन वन जी महाराज बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए यह पूरा महीना शुभ माना जाता है। इस माह में भक्तगण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रावण मास में विभिन्न व्रत रखते हैं। उत्तर भारतीय राज्यों में श्रावण मास को सावन माह के नाम से भी जाना जाता है । स्वामी रामभजन वन जी महाराज ने कहा कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से भगवान शिव को समर्पित पवित्र माह की शुरुआत हो जाती है। इसे देवों के देव महादेव का प्रिय महीना माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस मास में यदि श्रद्धापूर्वक शिवलिंग पर केवल एक लोटा जल भी अर्पित किया जाए, तो भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि सावन में आने वाले प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखकर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्रियां अर्पित करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन मास में ही भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. सावन के चारों सोमवार को श्रद्धा और नियम से पूजन करने पर भगवान शिव और माता पार्वती आपकी हर कठिनाई को हर सकते हैं और मनोकामना को पूरी करते हैं। उन्होंने कहा कि पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं । इसीलिए उन्होंने श्रावण मास में तपस्या की। भगवान शिव पार्वती की भक्ति से प्रसन्न हुए और उनकी इच्छा पूरी की। भगवान शिव को श्रावण मास बहुत प्रिय है क्योंकि इसी दौरान उन्हें अपनी पत्नी से पुनः मिलन हुआ था। स्वामी रामभजन वन जी महाराज ने सभी भक्तों को सावन माह की शुभकामनाएं प्रेषित की है।

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