परमपिता परमात्मा शब्दों की भाषा नहीं मनुष्य की अंतरात्मा की आवाज सुनते हैं श्री महंत रघुवीर दास महाराज

सम्पादक प्रमोद कुमार
हरिद्वार 26 जून 2025 (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानन्द) श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े में अपने श्री मुख से कल्याणकारी अमृत वचनों की वर्षा करते हुए परम तपस्वी विद्वान श्री महंत रघुवीर दास जी महाराज ने कहा परमात्मा शब्दों की भाषा को नहीं जानते इनका आविष्कार तो मनुष्य ने किया है परमात्मा मनुष्य की अंतर आत्मा की आवाज सुनते हैं परमात्मा मौन एवम एकाग्रता को अच्छी तरह से पहचानते हैं तथा जानते बार-बार चिल्लाने से ढोल ढमाके बजाने से कुछ नहीं होता अगर ईश्वर को प्राप्त करना है तो मन को एकाग्र कर एकांत चित मन से पुकारो वह आपके सामने आ जायेंगे भक्ति के रस में डूबना है तो मन को एकाग्रचित करो चंचल मन करे चतुराई इसलिये मन की चंचलता झूठे प्रलोभन एवम सांसारिक सुख सुविधाओं का मोह छोड़ एकाग्रचित होकर राम भजन करें क्योंकि एसी युक्त कमरे में जहां आप आरामदायक बिस्तर पर बैठे हो वहां आपको राम दर्शन देने नहीं आयेंगे साधु संत ऋषि मुनियों ने जब भी ईश्वर को प्राप्त किया है कठिन तपस्या तथा योग साधना के बल पर प्राप्त किया है प्राकृतिक की गोद में बैठकर किसी कंदिरा पर्वत तथा मरुस्थल में प्राप्त किया आरामदायक सुविधा युक्त कमरे में बैठकर आप साधारण भजन तो कर सकते हैं किंतु भगवान को प्राप्त करने के लिये योग साधना के वशीभूत होना पड़ता है भजन सत्संग दान सत्कर्म के माध्यम से भगवान को प्राप्त करने की युक्ति सिर्फ गुरुजनों के पास है गुरु चाहे तो वह पूरा विधान बदल देते हैं भक्तों के कल्याण के लियें युक्ति और मुक्ति अपने तपोबल से भक्तों को प्रदान कर देते हैं।