19 August 2025

श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा का श्रवण करने मात्र से यह मानव जीवन धन्य हो जाता है स्वामी प्रेम तीर्थ महाराज

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सम्पादक प्रमोद कुमार 

हरिद्वार कांगड़ी गाजीवाला आर्य नगर स्थित देवभूमि योग पीठ आश्रम में परम पूज्य देश के प्रख्यात कथा वाचक स्वामी प्रेम मूर्ति तीर्थ महाराज के श्री मुख से श्रीमद् देवी महापुराण कथा के दूसरे दिन कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति ब्रह्मांड के जन्म का रहस्य बताते हुए बताया कि जब इस सृष्टि की रचना हुई तो सबसे पहले ब्रह्मा विष्णु और फिर महेश माता विंध्यवासिनी अष्टभुजी देवी की कृपा से प्रकट हुए और उस समय सृष्टि में मरुस्थल बहुत कम था चारों तरफ जल ही जल दिखाई दे रहा था अंधकार ही अंधकार था जब माता अष्टभुजी महादेवी की कृपा हुई तो ब्रह्मा विष्णु महेश एक विमान में बैठकर अन्य लोको में गये और उन्होंने देखा कि इस लोक के अलावा भी ऐसे ही अनेकों लोक और भी विद्यमान है सैकड़ो लोको में अलग-अलग ब्रह्मा विष्णु महेश है माता भगवती की कृपा से इस लोक की सृष्टि रचने का दायित्व तथा संचार की व्यवस्था जिम्मेदारी श्री ब्रह्मा श्री विष्णु तथा श्री महादेव के पास आयी जो भक्त श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा का आयोजन करता है उसका लोक एवं परलोक दोनों सुधर जाते हैं यह मानव जीवन धन्य तथा सार्थक हो जाता है क्योंकि सृष्टि की उत्पत्ति के समय माता अष्टभुजा रूप में ब्रह्मा जी श्री विष्णु जी तथा महादेव के मार्गदर्शन हेतु प्रकट हुई थी उसके बाद भगवान श्री कृष्णा की बहन के रूप में माता यशोदा के गर्व से उत्पन्न हुई थी और जब वासुदेव जी जेल की बेड़ियां टूटने के बाद कृष्ण को गोकुल छोड़ने गये नदी पार करके तो श्री नंद जी ने कृष्णा के स्थान पर उनके यहां कन्या के रूप में प्रकट हुई माता विंध्यवासिनी को उन्हें दे दिया ताकि वह कृष्ण के स्थान पर उन्हें ले जाकर रख दें और जब माता देव की और वासुदेव की संतान समझकर कंस ने कन्या का वध करना चाह तो वह हाथ से छूटकर तड-तडाहती हुई बिजली के रूप में आसमान में स्थापित होकर कंस को कहा तुझे मरने वाला पैदा हो गया है माता विंध्यवासिनी तब से विद्यांचल पर्वत पर साक्षात विद्यमान है जो भी भक्त सच्चे मन से माता की आराधना करता है उसके जन्मों जन्म के शक्ल समाप्त हो जाते हैं उसके पुण्य का उदय हो जाता है उसे हजारों यज्ञों के पुण्य का फल प्राप्त होता है माता की आराधना से मनुष्य के जीवन में सुख शांति और समृद्धि का वास होता है और इस सृष्टि में माता की कृपा से शांति की स्थापना होती है इस अवसर पर आश्रम के सचिव राम दुलारानन्द श्री शंकर दत्त रामविलास सिंह कार्यानंद शर्मा मंजू देवी राधा देवी विमला देवी निर्मला देवी नीलम देवी प्रधानाचार्य रंजन कुमार शास्त्री विकास शिवकुमार पंडित राकेश पांडे विकास मिश्रा चिन्मय ब्रह्मचारी के साथ-साथ मुख्य यजमान प्रेम प्रणव इंजीनियर जी श्रीमती अंकित मिश्रा इंजीनियर मुख्य रूप से उपस्थित थे प्रतिदिन भारी संख्या में श्रोता कथा का आनंद लेकर अपने जीवन को धन्य तथा कृतार्थ कर रहे हैं।

 

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