त्याग एवम सारस्वत प्रेम के ज्ञान की वर्षा मनुष्य में जीवन जीने का सर्जन करती है :- स्वामी रमेशानंद जी महाराज

हरिद्वार के भूपतवाला में त्याग एवं सारस्वत प्रेम का ज्ञान प्रदान करते हुए स्वामी रमेशानंद देहरादून बाबा ने कहा भगवान राम ने बुद्धि ज्ञान प्रेम का एक अनूठा उदाहरण अपने जीवन में प्रस्तुत करते हुए इस नाशवान संसार का मार्गदर्शन किया की प्रेम और विश्वास के सामने बड़ों के आदर और सम्मान के सामने राजपाठ सिंहासन कोई मायने नहीं रखता पिता की आज्ञा के पूर्ति के लिए वनवास गुरु की आजा मान राक्षसों का अंत भरत जैसे भाई का प्रेम संवाद तथा जीवन उदाहरण मनुष्य के सामने एक बहुत बड़ा उदाहरण है की मात पिता की आज्ञा के लिए गुरु की आज्ञा के लिए अगर वनवास भी सहन करना पड़े तो कोई बात नहीं भाई पर अगर कोई अविश्वास करने का पर्यतन करें तो कभी ना माने भाई भाई होता है इसलिए जीवन में प्रेम रस से बढ़कर कुछ नहीं और हरि भजन से प्राप्त होने वाले हरि रस जैसा कोई जीवन कल्याणकारी अमृत नहीं उनके ज्ञान की वर्षा सुन वरिष्ठ कोतवाल श्री कालीचरण जी महाराज श्री श्याम गिरी जी महाराज श्री श्रवण दास जी महाराज प्रेम में इतने वशीभूत हो गए कि उन्हें ज्ञान की वर्षा करने के लिए आलिंगन करने लगे।