पतंजलि विश्वविद्यालय मानव कल्याण के लिए समर्पित है — योगऋषि स्वामी रामदेव

सम्पादक प्रमोद कुमार
 
हरिद्वार, 17 अक्टूबर : शुक्रवार को पतंजलि विश्वविद्यालय में अभिभावक–शिक्षक बैठक का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया। इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से पतंजलि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के अभिभावकों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज ने अपने आशीर्वचन और प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा कि अभिभावक अपने पाल्य–पाल्याओं को पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित नियमों और नैतिक मूल्यों के पालन हेतु प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य और समग्र विकास के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।
स्वामीजी ने कहा कि पतंजलि संस्था द्वारा किया जाने वाला प्रत्येक कार्य — चाहे वह शिक्षण–प्रशिक्षण हो या चिकित्सा–औषधि निर्माण, सब मानव कल्याण के उद्देश्य से किया जा रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे स्वयं को या अपने परिवार को लज्जा महसूस हो। उन्होंने विद्यार्थियों को सदैव अच्छे कर्म, उत्तम आचरण और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा दी।
उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को अथक परिश्रम और पुरुषार्थ के लिए निरंतर प्रेरित किया जाता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे निरंतर श्रम के बाद खेतों में अन्न का फल मिलता है, वैसे ही सत्कर्म और परिश्रम का फल भविष्य में अवश्य प्राप्त होता है।
स्वामीजी ने बताया कि विश्वविद्यालय में योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थियों के नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए नित्य यज्ञ, शास्त्रस्मरण आदि का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष शास्त्रस्मरण हेतु लाखों रुपये के पुरस्कार विद्यार्थियों को प्रदान किए जाते हैं और इसके लिए करोड़ों रुपये का पुरस्कार कोष स्थापित किया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि जिन विद्यार्थियों की उपस्थिति 90 प्रतिशत से अधिक होती है, उनकी पूरी फीस माफ की जाती है। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभावान विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है।
स्वामीजी ने इस अवसर पर घोषणा की कि अब तक शास्त्रस्मरण के लिए केवल विद्यार्थियों को पुरस्कार दिए जाते थे, परंतु अब से विद्यार्थियों के अभिभावकों को भी शास्त्रस्मरण हेतु सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को शत-प्रतिशत रोजगार प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
इस अवसर पर योग तथा मानविकी एवं प्राच्य विद्या संकाय की अधिष्ठात्री साध्वी देवप्रिया जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि पतंजलि में अध्ययन–अध्यापन के साथ-साथ विद्यार्थियों के संस्कार एवं जीवन निर्माण की दिशा में सतत प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के सर्वांगीण विकास में माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कारों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है।
साध्वी जी ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय के शिक्षक अभिभावक तुल्य हैं, जो विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु दिन-रात समर्पित हैं। यहाँ स्वास्थ्य, धन और भविष्य निर्माण तीनों आयामों पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पतंजलि में अनुशासन के साथ अध्ययन कराया जाता है क्योंकि अनुशासन के बिना संस्कार संभव नहीं। उन्होंने अभिभावकों से विद्यार्थियों के जीवन निर्माण में सहयोग एवं समर्पण की अपील की।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रति–कुलपति प्रो. मयंक कुमार अग्रवाल ने विश्वविद्यालय की प्रगति एवं उपलब्धियों की जानकारी साझा की।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. निर्विकार, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, दूरस्थ शिक्षा निदेशक डॉ. सत्येन्द्र मित्तल सहित सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, डीन अकादमिक ,अधिकारीगण, संकाय सदस्य, विद्यार्थी एवं अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।