खरना की खीर खाने के बाद शुरू होगा, छठ व्रतियों का निर्जल उपवास-रंजीता झा
 
                
सम्पादक प्रमोद कुमार
 
हरिद्वार। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है। रविवार, को चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जा रहा है। छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व है। आचार्य उद्धव मिश्रा बताते हैं कि खरना के दिन से ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। खरना के दिन बनने वाले प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है। महिलाएं इसी प्रसाद को खाकर सबसे कठिन व्रत की शुरुआत करती हैं। वरिष्ठ समाजसेवी एवं भाजपा नेत्री रंजीता झा ने कहा कि खरना के दिन, महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्यास्त के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। खरना के दिन मिट्टी के चूल्हे पर चावल और गुड़ की खीर बनाई जाती है। इस खीर के बिना खरना पूजा अधूरी मानी जाती है। खरना के दिन खीर को प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इसी खीर को खाकर महिलाएं अपना 36 घंटे का छठ व्रत शुरू करती हैं। खरना के दिन बने चावल की खीर खाने का विशेष महत्व है। खरना का अर्थ तन और मन की शुद्धि बताया गया है। गुड़-चावल की खीर के अलावा खरना प्रसाद में केला और रोटी भी शामिल होती है। सोमवार को अस्तांचल एवं मंगलवार को ऊषा सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जायेगा।
पूर्वांचल उत्थान संस्था, पूर्वांचल महासभा, पूर्वांचल भोजपुरी महासभा, छठ पूजा आयोजन समिति, पूर्वांचल उत्थान सेवा समिति बिहारी महासभा सहित अन्य संस्थाओं की ओर से छठ महापर्व की भव्य तैयारी की जा रही है। हरकी पौड़ी, प्रेमनगर आश्रम, जटवाड़ा पुल, गंगनहर घाट बहादराबाद, शीतला माता मंदिर घाट, राधा रास बिहारी घाट, बैरागी कैंप घाट सहित अन्य प्रमुख गंगा घाटों पर छठ पर्व को लेकर व्यापक स्तर पर व्यवस्था की गई है।

 
                        

 
                                 
                                 
                                