10 November 2025

वंदे मातरम् के 150 गौरवशाली वर्षों पर सामूहिक राष्ट्रगान के साथ भारत माता को नमन

विज्ञापन

सम्पादक प्रमोद कुमार

ऋषिकेश, 7 नवम्बर। आज का दिन समस्त देशवासियों के लिए गर्व, उत्साह और राष्ट्रभक्ति का संदेश लेकर आया है। राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के इस ऐतिहासिक अवसर पर पूरे देशभर में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसी पावन अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा दिए गए राष्ट्रप्रेरक आह्वान का सम्मान करते हुए परमार्थ निकेतन में वंदे मातरम् के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गान किया गया।

 

यह राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम हम सब एक स्वर, एक संकल्प और एक भावना में समाहित होकर भारत माता के प्रति अपनी अखंड निष्ठा एवं समर्पण का संदेश देने हेतु आयोजित किया गया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वंदे मातरम् भारत की आत्मा, अस्मिता और आजादी की हृदय-धड़कन है। यह अदम्य राष्ट्र-चेतना का अभिनंदन हैं जिसने हम सबको एक सूत्र में पिरोया। वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, यह भारत की आत्मा की गूंज है। यह हमारी समृद्ध संस्कृति, मातृभूमि के प्रति प्रेम, और राष्ट्र की एकता-अखंडता का शाश्वत प्रतीक है।

यह गीत केवल एक पंक्ति नहीं था, यह शौर्य का शंखनाद, मातृभूमि के प्रति समर्पण का व्रत और स्वतंत्र भारत के सपनों का उद्घोष था। आज 150 वर्षों बाद भी “वंदे मातरम्” का भाव जीवंत है। यह हमें याद कराता है कि हमारी धरती केवल भूमि नहीं, यह हमारी माता है, जिसने हमें पोषित किया, संस्कारित किया और शक्ति दी।

आइए, इस अमर मंत्र को केवल आवाज में नहीं, व्यवहार और सेवा में उतारें। राष्ट्रहित, पर्यावरण-सुरक्षा, संस्कृति-संरक्षण और एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दिशा में मिलकर आगे बढ़ें।

1870 के दशक में श्री बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा रचित वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्ति की ऐसी ज्योति जगाई, जिसने असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों को मातृवंदन के लिए प्राण न्यौछावर करने की प्रेरणा दी। “वंदे मातरम्” के जयघोष ने प्रत्येक भारतीय के हृदय में साहस और स्वाभिमान की लहर जगाई।

स्वामी जी ने कहा कि अमूल्य बलिदानों से सींची इस परंपरा का 150वाँ वर्ष अपने आप में इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है जो एकता का संदेश, एक भारत, श्रेष्ठ भारत का संदेश पूरे विश्व को दे रहा है।

आज सामूहिक गान के माध्यम से हम यह संकल्प दोहराये कि भारत की एकता-अखंडता सर्वोपरि है। हर राज्य, हर भाषा, हर वर्ग और हर आयु के लोग एक ही स्वर में भारत माता के गौरवगान एकता का संदेश दे। जब बात मातृभूमि की हो तो ऐसे में हम सब एक हैं, एक रहेंगे, और एक स्वर में अपनी संस्कृति का परचम बुलंद करते रहेंगे।

आज का ऐतिहासिक दिन अमिट स्मृतियाँ, राष्ट्रगौरव और अखंड देशभक्ति की धारा छोड़ गया, जो आगामी वर्षों तक हमें प्रेरणा देता रहेगा।

विज्ञापन
Copyright © All rights reserved. | Sakshar Haridwar Powered by www.WizInfotech.com.