राधा जी और गोपियों का प्रेम शरीर से शरीर का नहीं आत्मा से आत्मा के मिलन का प्रेम था :-महामंडलेश्वर स्वामी जनकपुरी जी महाराज

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हरिद्वार 26 सितंबर 2023 को सन्यास आश्रम संयास रोड कनखल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास महामंडलेश्वर परम पूज्य स्वामी जनकपुरी जी महाराज ने मथुरा जाने से पूर्व श्री कृष्णा तथा गोपियों के बीच हुए संवाद का बड़ा ही सुंदर दृष्टांत विरहा में डूबी गोपियों तथा श्री कृष्ण के बीच हुई वार्ता का संवाद सुंदर संगीत मय मनमोहन भक्ति मय दृष्टांत सुनाया उस क्षण को सभी गोपिया श्री कृष्ण की ओर तक टक टकि बांधकर निहारते हुए कहती हैं अब तुम न जाने कब मिलोगे हम यह विरह सहन भी कर पाएंगे या नहीं तुम्हारे बिना हम कैसे जीवित रहेंगे श्री कृष्णा और गोपियों के बीच हुई इस रहस्य पूर्ण वार्ता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता क्योंकि गोपियों का संवाद बड़ा ही भाव विभोर कर देने वाला था उनकी पीड़ा बड़ी ही असहनीय थी एक बार गोकुल से मथुरा जाने के बाद श्री कृष्ण कभी गोकुल लौट कर नहीं आए किंतु गोपियों के मन की पीड़ा को श्री कृष्णा कभी नहीं भूले उनकी आंखों से बहते नीर के दर्द को सदैव महसूस करते रहे राधा जी और श्री कृष्ण का मिलन राधा जी के अंतिम समय में हुआ था उस समय राधा जी और कृष्णा के प्रेम की ताकत को संपूर्ण विश्व ने देखा था श्री कृष्णा और राधा का अंतिम मिलन कुरुक्षेत्र में हुआ था रुक्मणी जी ने राधा जी को उबलता हुआ गर्म दूध पीने के लिए दिया पीया राधा जी ने किंतु मुंह और गले में छाले पड़े श्री कृष्ण जी के यह है कृष्ण भक्ति और कृष्ण प्रेम और गोपियों के प्रेम की प्रकाष्ठा वह प्रेम शरीर का नहीं आत्मा से आत्मा के मिलन का था वह प्रेम अति पावन था उस प्रेम में साक्षात ईश्वर बसते थे उस प्रेम में राधा जी गोपियों और श्री कृष्णा की आत्मा बसती थी वह स्वार्थ का प्रेम नहीं वह भावनाओं का प्रेम था वह आत्मा से आत्मा के मिलन का प्रेम था।

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