हरिद्वार के अधिकतर धार्मिक कार्यक्रमों में मंच पर दिखने वाले स्वामी कमलेशानंद महाराज कब बने महंत

खास रिपोर्ट मनोज ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार
हरिद्वार,हरिद्वार के अधिकतर धार्मिक कार्यक्रमों में मंच पर दिखने वाले स्वामी कमलेशानंद महाराज कब बने महंत क्या कोई बता सकता है हरिद्वार देवभूमि के कदम कम पर मठ मंदिर आश्रम अखाड़े विद्यमान है यहां पर अक्सर धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम भंडारे सत्संग होते रहते हैं जिसमे आश्रम अखाड़े मंदिर मठ आश्रमों में रहने वाले साधु संत तथा भक्त भाग लेते हैं अक्सर मंचों पर दिखने वाले कांगड़ी के श्री स्वामी कमलेशानंद जी महाराज कब महंत पद पर विभूषित हुए किस अखाड़े तथा आश्रम के परमाध्यक्ष ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाते हुए श्री महंत पद पर पटाअभिषेक किया तथा उनका उद्बोधन मंच से महंत के रूप में बिना जानकारी के क्यों किया जाता है तथा बिना पटा अभिषेक बिना चादर विधि वे श्री महंत या महंत पद पर किस तरह से किस अखाड़े के माध्यम से विभूषित हुए इस बात का कोई तथ्य या रहस्य उजागर नहीं हो पाया अक्सर देखने के लिए मिलता है की साधु संतों के बीच आजकल स्वयंभू महंत श्री महंत महामंडलेश्वर देखे जा सकते हैं कई बार तो शंकराचार्य पदों पर भी इस प्रकार का विवाद देखा गया है किंतु इस प्रकार के महंत श्री महंत महामंडलेश्वर आदि पदों पर या तो अखाड़े पटाअभिषेक करते हैं या फिर आश्रमों के परमा ध्यक्ष महंत श्री महंत अपने उत्तराधिकारियों को अखाड़े आश्रमों के संतों की मौजूदगी में श्री महंत पद पर या महंत पद पर आसिन करते हैं किंतु स्वयंभू महंत या श्री महंतों का आश्रम मठ मंदिर अखाड़े में कोई अस्तित्व नहीं होता किंतु जानकारी के अभाव के चलते इस प्रकार के लोग साधु संतों के बीच घुसपैठ कर अपने आप को स्वयंभू आसीन होने के बाद स्थापित करने पर तूले रहते हैं यह रहस्य या गुत्थी कोई सुलझा सकता है तो वह है आश्रम मठ मंदिर अखाड़े की कब किस और किस-किस महापुरुष की मौजूदगी में महंत बनाया गया स्वयंभू लोग कुछ अस्तित्व में आने के बाद अहंकार के आधीन हो जाते हैं और दूसरों की खिल्ली उड़ाने लगते हैं उन्हें अपना वजूद याद नहीं रहता की वह जिस भूल में जी रहे हैं वहां उनका कोई अस्तित्व नहीं एक हल्का सा हवा का झोंका भी उनके रहस्य से पर्दा उठा सकता है परम पूज्य महंत कमलेशानंद तेहरा अखाड़े के मठ मंदिर आश्रम अखाड़ो के कार्य कर्मों में दिखाई देते हैं ऐसा प्रतीत होता है कि उन 13 अखाड़े में से किसी भी अखाड़े ने कभी भी उन्हें महंत नहीं बनाया यह एक रहस्य बना हुआ है की कब और किसने कमलेशानंद को महंत बनाया जिसके चलते वह कार्य कर्मों में बतौर महंत भाग लेते हैं तथा महंत महामंडलेश्वरों के बीच आसीन होते हैं तथा महंत पद की दक्षिणा प्राप्त करते हैं यह रहस्य एक अनसुलझी पहेली है इस प्रकार के अनेकों संत तथा कारोबारी है जो इस प्रकार की कथित परिस्थिति में देखे जा सकते हैं इस प्रकार के लोग अपने अहंकार के मद कुछ ही समय में चूर हो जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि जिस क्षेत्र में वह दूसरे लोगों की खिल्ली उड़ा रहे हैं अगर उससे पर्दा उठा तो उसे क्षेत्र में वहां उनका कोई वजूद नहीं स्वामी कमलेशानंद जी महाराज ने कल एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया तथा साधु संतों के कारोबारी पर सीधे प्रहार कर तरह-तरह के लांक्षण लगाते हुए अहंकार के मध्य में चूर होकर अपना अस्तित्व सामने लाने के लिए मीडिया की खिली उडाई अहंकार के मद में आध्यात्मिक जगत में वह अपना अस्तित्व भूल बैठे थे सम्मानित मठ मंदिर अखाड़े के बीच इस प्रकार के स्वयंभू लोग अक्सर कार्य कर्मों में देखे जा सकते हैं जो महंत और श्री महंतो के बीच घुसपैठ कर कार्य कर्मों में दक्षिणा के रूप में अनाधिकृत लाभ अर्जित करने के लिए खुद ही स्थापित हो जाते हैं उन्हें किसी द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता किंतु जानकारी के अभाव के चलते तथा इनके रहस्य से पर्दा ना उठने तक यह लोग अनाधिकृत लाभ अर्जित करते हैं।