कबीर हरि के रूठते गुरु के शरने जाए कहै कबीर गुरु रूठते हरि नहिं होत सहाय-श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज

प्रमोद कुमार हरिद्वार
मनोज ठाकुर,हरिद्वार श्री श्याम वैकुंठ धाम श्यामपुर के परमाध्यक्ष तथा सभापुर दिल्ली दरबार के संस्थापक श्री महंत 1008 परम पूज्य श्री श्यामसुंदर दास जी महाराज ने कहा अगर आप भक्ति कर रहे हैं या हरि भजन कर रहे हैं तो उसमें किसी प्रकार की जल्दबाजी या उतावलापन नहीं होना चाहिए मनुष्य के मन में धीरता धैर्य और समर्पण होना आवश्यक है क्योंकि भक्ति और धैर्य और गुरु के बिना हे बंदिया कोई भगवान नहीं मिलता भगवान को पाने के लिए मनुष्य में इच्छा शक्ति और समर्पण भाव का होना आवश्यक है गुरु मिलते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान गुरु के बिना भक्त किसी भी तरह से ईश्वर तक नहीं पहुंच सकता इसलिए हे भक्तजनों पहले गुरु भक्ति करो गुरु को गुरु भक्ति कर प्रसन्न करो अगर गुरु प्रसन्न है तो हरि तो मिलने आपसे स्वयं ही चले आएंगे गुरु की आज्ञा का पालन गुरु की भक्ति मनुष्य को भवसागर पार करा देती इस कलयुग में गुरु ही भक्तों के तारणहार है।