जीवन की शांति और सौंदर्यता मनुष्य के मन और कर्म में बसती है महामंडलेश्वर श्री संजय गिरी महाराज

प्रमोद कुमार हरिद्वार
हरिद्वार (वरिष्ठ पत्रकार मनोज ठाकुर) कांगड़ी स्थित श्री प्रेम गिरी बनखंडी धाम मे जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर 1008 परम पूज्य श्री श्री संजय गिरी जी महाराज ने कहा जीवन की शांति और सौंदर्यता मनुष्य के मन पर आधारित है हालांकि मनुष्य का मन हवा से भी तेज बहाव में बहता है और पलक झपकते ही हजारों करोड़ किलोमीटर दूर का सफर कर लेता है किंतु उस पर अंकुश लगाना मनुष्य के अंतर मन में ही इसका रहस्य छुपा है अगर इस चलाएं मान मन को अपने आधीन रखना चाहते हो तो पहले अपने शरीर की इंद्रियों पर लगाम लगाओ फिर इस चंचल मन को इंद्रियों के समान अंकुश लगाओ क्योंकि मन बहुत चंचल होता है इसे सिर्फ हरि भजन से ही बांधा जा सकता है जीवन की दूरी के तीन कल्याणकारी सूत्रधार है दान दया और सत्कर्म दान मनुष्य इसलिए करता है की उसके दिए गए दान से कोई अपना भरण पोषण कर सके और उसका लोक और परलोक सुधर सके किंतु दान देते समय योग्यता की परख होना अति आवश्यक है जिसे आप दान दे रहे हैं वह उसका सदुपयोग करेगा या सदउपयोग यह देखना जरूरी है अगर आप किसी अयोग्य व्यक्ति को दान देते हैं तो वह उससे जितने भी निरर्थक कर्म करेगा उसमें आप भी बराबर के भागीदार होंगे दया मनुष्य के मन में सदैव बसी रहनी चाहिए जिसके मन में दया नहीं वह आसुरी प्रवृत्ति का होता है सत्य कर्म मनुष्य को सत्य की राह दिखाते हैं धर्म कर्म के माध्यम से मनुष्य सद्गति की ओर बढ़ता है इसलिए इस मन पर अंकुश लगाकर जितना भी हो सकता हो अपना लोक और परलोक सुधारने के लिए मनुष्य को सदैव अग्रसर रहना चाहिए हरि भजन एक ऐसा माध्यम है जिससे मनुष्य को मन की शांति तो मिलती है साथ ही उसका लोक और परलोक भी सुधर जाता है इस और मनुष्य को गुरुजन ही ले जाते हैं इसलिए संत महापुरुषों का सानिध्य करो दान दया सत्कर्म के माध्यम से अपने जीवन को सार्थक करो।