15 August 2025

गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं और गुरू से बढ़कर कुछ नहीं-श्रीमहंत प्रेमगिरी

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प्रमोद कुमार हरिद्वार
हरिद्वार, 27 जून। जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरी महाराज के गुरू ब्रह्मलीन श्रीमहंत कैलाश गिरी महाराज की पुण्य तिथी पर श्यामपुर कांगड़ी स्थित प्रेमगिरी धाम में संत समागम का आयोजन किया गया। संत समागम में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने ब्रह्मलीन श्रीमहंत कैलाश गिरी महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्रीमहंत प्रेमगिरी महाराज ने कहा कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं और गुरू से बढ़कर कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत कैलाश गिरी महाराज त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे। गुरू के दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरी महाराज ने कहा कि गुरू के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखने वाले शिष्य पर ईश्वरीय कृपा सदैव बनी रहती है। श्रीमहंत प्रेमगिरी महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। महामंडलेश्वर गर्व गिरी महाराज एवं श्रीमहंत महेश पुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत कैलाश गिरी महाराज संत समाज की दिव्य विभूति और धर्म शास्त्रों के विद्वान संत थे। ऐसे दिव्य संत का सानिध्य सौभाग्य से प्राप्त होता है। श्रीमहंत प्रेमगिरी भाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में श्रीमहंत कैलाश गिरी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। महामंडलेश्वर महंत संजय गिरी व महंत गौरव गिरी ने कहा कि गुरू और माता पिता की सेवा करने से व्यक्ति का जीवन बदल जाता है। क्योंकि गुरू और माता पिता भी ईश्वर के समान होते हैं। इस अवसर पर महामंडलेश्वर महंत संजय गिरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरी, स्वामी गर्व गिरी, महंत गौरव गिरी, श्रीमहंत महेश पुरी, महंत परमानन्द गिरी, महंत सहजानन्द, महंत केदारपुरी सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु मौजूद रहे।

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