5 September 2025

राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर प्रेस क्लब हरिद्वार की शिक्षकों के सम्मान में सराहनीय पहल, शिक्षकों को पटका पहनाकर दिया सम्मान-धर्मेन्द्र चौधरी

विज्ञापन

सम्पादक प्रमोद कुमार 

प्रेस क्लब हरिद्वार सभागार आयोजित हुआ सम्मान समारोह

 

हरिद्वार। संत कबीर दास जी का रचित दोहा ‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताए’ आपने जरूर सुना होगा। जिसका अर्थ है यदि गुरु और ईश्वर दोनों एक साथ आपके सामने हों, तो आपको पहले गुरु के चरणों में झुकना चाहिए, क्योंकि गुरु ने ही ईश्वर के पास पहुंचने का मार्ग दिखाया है। इन्ही पंक्तियों को याद करते हुए आपको भी अपने गुरुदेव का वंदन जरूर करना चाहिए। शुक्रवार को प्रेस क्लब हरिद्वार में शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों के सम्मान में सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें शिक्षकों को पटका पहनाकर सम्मानित किया।

शुक्रवार को प्रेस क्लब सभागार में शिक्षक दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह के अवसर पर प्रेस क्लब अध्यक्ष धर्मेन्द्र चौधरी ने सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि डिजिटल युग में शिक्षा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। आज हर कोई ज्ञान और जानकारी पाने के लिए शिक्षक के पास नहीं जा रहा, बल्कि मोबाइल या कम्प्यूटर में गूगल में सर्च कर रहा है। किताब से लेकर स्क्रीन तक की यह यात्रा ज्ञान तो दे रही है, लेकिन संस्कार और मानवीय मूल्य पीछे छूटते जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षक का महत्व, दायित्व और भी बढ़ जाता है। ज्ञान के साथ संस्कार और संवेदनशीलता ही शिक्षक की सबसे बड़ी पहचान है।

सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षक दीपक मिश्रा ने कहा कि भारत में हर साल 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक विशेष अवसर है। यह दिन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षक दिवस की शुरुआत 1962 में हुई। प्रख्यात शिक्षाविद्, दार्शनिक और विद्वान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। वह एक उत्कृष्ट शिक्षक भी थे, जिन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढाया था। जब 1962 में डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ पूर्व छात्रों और मित्रों ने उनके जन्मदिन को भव्य रूप से मनाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन डॉ. राधाकृष्णन ने इस विचार को विनम्रतापूर्वक ठुकराते हुए कहा कि उनके जन्मदिन को व्यक्तिगत उत्सव के रूप में मनाने के बजाय, इसे शिक्षकों के सम्मान में समर्पित किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, ताकि देशभर के शिक्षकों के योगदान को मान्यता दी जा सके। तभी से भारत में 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी ने कहा कि शिक्षक वही होता है, जो हमें पढ़ा रहे हैं, लेकिन जहां सीखने की बात आती है तो एक छोटा बच्चा भी कभी-कभी ज्ञान की बात सीखा जाता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय ने कहा कि शिक्षक के ही कंधे पर देश के भविष्‍य का जिम्‍मा होता है, वे देश के नागरिक को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाने का रास्‍ता दिखाने का काम करते हैं। साथ हीं उन्‍हें सही और गलत को परखने का तरीका भी बताते हैं। इस तरह इंसान की पहली गुरु उसकी मां कही जाती है, जबकि शिक्षक उसे सांसारिक बोध कराने यानी जीवन में आगे बढ़ने का सही मार्गदर्शन करता है। शिक्षक के इसी महत्‍व को देखते हुए हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

इस मौके पर सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. रजनीकांत शुक्ला, डॉ. सुशील उपाध्याय, डॉ. शिवा अग्रवाल, डॉ. रूपेश शर्मा, डॉ. योगेश योगी, डॉ. परविंदर कुमार, सुभाष कपिल, दीपक मिश्रा, दीपक नौटियाल, बालकृष्ण शास्त्री, संजीव शर्मा और सुदेश आर्य को पटका पहनाकर सम्मानित किया गया।

इस मौके पर पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अमित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार मनोज खन्ना, श्रवण कुमार झा, आशीष धीमान, जहांगीर मलिक, आशीष मिश्रा, एमएस नवाज, संजीव शर्मा, संजीव नैय्यर, शिप्रा अग्रवाल, सचिन सैनी समेत कई पत्रकारों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

विज्ञापन
Copyright © All rights reserved. | Sakshar Haridwar Powered by www.WizInfotech.com.