गुरु राम है गुरु श्याम है गुरु ही तारणहार श्री महंत कमलेशानन्द सरस्वती महाराज

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सम्पादक प्रमोद कुमार

हरिद्वार( वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद) खड़खड़ी स्थित श्री गंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष त्याग एवम ज्ञान की साक्षात मूर्ति श्री महंत परम पूज्य कमलेशानन्द सरस्वती जी महाराज ने भक्त जनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए कहां गुरु राम है गुरु श्याम है गुरु ही तारण हार गुरु ही गंगा गुरु ही यमुना गुरु ही तीरथ धाम कहने का मतलब यह है इस कलयुग में सतगुरु देव ही भक्तों के तारण हार बनकर उन्हें भक्ति मार्ग से भवसागर पार कराते गुरु है उंगली पड़कर राम और घनश्याम से मिलवाते हैं और वही हमें धर्म-कर्म यज्ञ पूजा पाठ अनुष्ठान दान सत्कर्म के माध्यम से भवसागर पार करने की युक्ति बताते हैं गुरु ही सभी रूपों में विद्यमान है जो ईश्वर तक पहुंचाते हैं उनका स्वरूप भी साक्षात ईश्वर तुल्य है क्योंकि भगवान भक्त के हैं और भक्त भगवान के और सतगुरु देव ईश्वर तक पहुंचने वाली भवसागर पार कराने वाली नैया है।

 

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