एम्स, ऋषिकेश के तत्वावधान में विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया गया

सम्पादक प्रमोद कुमार
ऋषिकेश 19 सितंबर-2025 एम्स,ऋषिकेश के तत्वावधान में विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया गया, जिसके तहत रोगियों की सुरक्षा के मद्देनजर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से संदेश देने साथ साथ संस्थान के स्तर पर इसकी प्रतिबद्धता दोहराई गई।
 
कार्यक्रम का शुभारंभ एम्स की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर (डॉ. )मीनू सिंह के नेतृत्व में एक वॉकथॉन के आयोजन और रोगी सुरक्षा शपथ के साथ हुआ।
इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रोफेसर मीनू सिंह ने बाल चिकित्सा सुरक्षा के लिए नेतृत्व की प्रतिबद्धता के महत्व पर जोर दिया और “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान पर प्रकाश डाला।
संस्थान की अकादमिक डीन प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने नवजात शिशु देखभाल के लिए प्रसवपूर्व महिला स्वास्थ्य के महत्व पर चर्चा की, जबकि चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर बी. सत्य श्री ने बच्चों में शल्य चिकित्सा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के अंतर्गत आयोजित शैक्षणिक सत्रों में प्रो. श्रीपर्णा बसु ने नवजात शिशु देखभाल विषय पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। अन्य वक्ताओं प्रो. लोकेश कुमार तिवारी ने परिवार-केंद्रित रोगी सुरक्षा विषय और प्रो. पुनीत धमीजा ने सुरक्षित औषधि पद्धतियों पर विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत किए।
अन्य विषयों में डीएमएस/ प्रोग्राम को-ऑडिनेटर डॉ. पूजा भदौरिया ने बताया कि रोगी सुरक्षा क्या है और अचानक इस पर इतनी चर्चा क्यों होने लगी है। साथ ही डॉ. आशीष जैन द्वारा बाल चिकित्सा रक्ताधान प्रोटोकॉल शामिल रहे।
समापन कार्यक्रम में संस्थान की सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली इकाइयों, नवाचार प्रतियोगिता विजेताओं और रोगी सुरक्षा पहलों में योगदान देने वालों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया।
संस्थान में वृहद स्तर पर आयोजित “प्रत्येक नवजात और प्रत्येक बच्चे के लिए सुरक्षित देखभाल” विषय पर केंद्रित गतिविधियों की एक श्रृंखला के साथ विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2025 मनाया। पखवाड़ेभर चले विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत बाल चिकित्सा, नवजात और गहन देखभाल क्षेत्रों में चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय द्वारा आयोजित सुरक्षा ऑडिट राउंड के साथ हुई। इसके बाद, सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी आंतरिक रोगी इकाइयों में विभागीय ऑडिट किया गया। जबकि बाल चिकित्सा और गहन चिकित्सा इकाइयों में आपातकालीन तैयारियों का परीक्षण करने के लिए “कोड पिंक” के लिए एक मॉक ड्रिल आयोजित की गई।
नर्सिंग सेवा विभाग की ओर से नवजात और बाल चिकित्सा नर्सिंग कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण सत्र आयोजित किए, जिसमें बाल चिकित्सा प्रारंभिक चेतावनी स्कोर (पीईडब्ल्यूएस) और गंभीर रूप से बीमार बच्चों के सुरक्षित परिवहन जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही सभी बाल चिकित्सा और नवजात शिशु क्षेत्रों में “स्वच्छ हाथ अभियान” को मजबूती दी गई ।
इसी क्रम में नवाचार प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों, नागरिकों व विद्यार्थियों को हाथों की स्वच्छता में सुधार के लिए रचनात्मक समाधान प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया। यह आयोजन इस संदेश को देने में सफल रहा, कि रोगी सुरक्षा जीवन की पहली सांस से ही शुरू हो जाती है और नवजात शिशुओं और बच्चों की सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है।