विश्व मानक दिवस.2025- गुणवत्ता, गरिमा और प्रगति का उत्सव – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

सम्पादक प्रमोद कुमार
देहरादून/ऋषिकेश, 14 अक्टूबर। हिमालय की गोद में बसे देवभूमि उत्तराखण्ड में आज विश्व मानक दिवस.2025 का भव्य और प्रेरणादायक आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आयोजन हिमालयन कल्चरल सेंटर, उत्तराखण्ड में किया गया। यह आयोजन तकनीकी मानकों और गुणवत्ता के महत्व को रेखांकित करने हेतु आयोजित किया गया जो कि उत्तराखण्ड की समृद्ध संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर के साथ गुणवत्ता और विकास के संगम को भी दर्शाता है।
 
कार्यक्रम का शुभारम्भ उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, माननीय मंत्री, उत्तराखंड़ श्री गणेश जोशी जी, माननीय सांसद, श्री नरेश बंसल जी, माननीय सांसद, श्रीमती कल्पना सैनी जी, श्री सौरभ तिवारी जी, सरिता जी और अन्य विशिष्ट विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। आयोजकों ने सभी विशिष्ट अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका पारंपरिक स्वागत अभिनन्दन किया गया। सभी ने मिलकर एक पौधा माँ के नाम श्रृंखला के अन्तर्गत पौधारोपण कर विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण के सामंजस्यपूर्ण विकास का संदेश दिया।
माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सभी विशिष्ट अतिथियेां ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया तत्पश्चात सभी ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया जिसमें उत्तराखंड की स्थानीय संस्कृति की झलक स्पष्ट थी। इस अवसर पर आयोजित प्रेरक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सबका मन मोह लिया।
आज के कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गान से हुई। बीआईएस द्वारा संस्थान के कार्यों और उपलब्धियों पर एक प्रभावशाली वीडियो प्रस्तुति दी गई, जिसमें बताया गया कि किस प्रकार स्टैंडर्ड अर्थात् मानक समाज के हर क्षेत्र यथा उद्योग, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और उपभोक्ता सुरक्षा को सशक्त बनाते हैं।
बीआईएस देहरादून के प्रमुख श्री सौरभ तिवारी जी ने स्वागत संबोधन देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा साझा की और कहा कि मानक केवल तकनीकी शब्द नहीं हैं, बल्कि ये समाज में विश्वास और गुणवत्ता की आधारशिला हैं।
इस अवसर पर बीआईएस वार्षिक रिपोर्ट का शुभारंभ किया गया तथा उन राज्य अधिकारियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने उत्तराखण्ड में मानकों की जानकारी को व्यापक रूप से जन.जन तक पहुँचाने में विशिष्ट भूमिका निभाई। यह क्षण गौरव और प्रेरणा से परिपूर्ण था।
माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि आज हम सभी यहां पर एक सोच, संस्कार और विचार के लिये एकत्र हुये हैं। गुणवत्ता किसी देश की पहचान बनाती है। जब हमारे उत्पाद, हमारी सेवाएँ और हमारी सोच मानकों पर खरे उतरते हैं, तभी राष्ट्र आत्मनिर्भर और विश्वसनीय बनता है। गुणवत्ता केवल व्यापार नहीं, यह विश्वास है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अगर हमें जीवन को मंगल बनाना है तो उसकी एक ही शर्त है मानक। मानवता के बिना मानकता सम्भव नहीं है। मानवता होगी तो मानकता बची रहेगी। हम मानक बचाये परन्तु उससे पहले मानव को बचाये। भारत के ऊर्जावान प्रधानमंत्री जी ने प्रयास किया है कि कैसे बचेगी मानवता, कैसे टिकी रहेगी मानकता। मुझे लगता है इसका एक ही उपाय है अपनी जड़ों से जुडों, अपने मूल व मूल्यों से जुड़ों, अपनी संस्कृति से जुड़ों; अपने संस्कारों से जुड़ों। हमारे संस्कार हैं वसुधैव कुटुम्बकम्, वन अर्थ, वन वल्र्ड, वन फैमली। सर्वें भवन्तु सुखिनः यही आज के मूल मंत्र है। अगर हमें सस्टेनेबल, अफोर्डेबल और एडोरेबल कल्चर को जीवित रखना है तो उसके लिये हमे सभी के लिये सोचना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि जीवन जीने के दो ही मार्ग है मेरे लिये क्या और मेरे द्वारा क्या। भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का यही जीवन है कि मेरे द्वारा क्या और इसी से मानवता भी बचेगी और मानकता भी बचेगी।
स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति चले जाते हंै, किताबंे पड़ी रहती हंै लेकिन विचार खड़े रहते हैं इसलिये काम ऐसे करो की पहचान बन जाये, कदम ऐसे चलों की निशान बना जाये। स्वामी जी ने स्वदेशी को अपनाने का संदेश देते हुये कहा कि स्वदेशी को बढ़ाएँ और स्वदेशी को ही मानक बनाएँ।।
गुणवत्ता और मानक केवल उद्योग की भाषा नहीं है, यह जीवन की संस्कृति है। जिस प्रकार योग और अध्यात्म ने भारत को वैश्विक पहचान दी है उसी प्रकार विश्व में भारतीय गुणवत्ता मानक एक नई पहचान गढ़ रहे हैं। मानक केवल मशीनों को ही नहीं बल्कि मानवता को भी जोड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि मानक केवल कागज पर लिखी बातें नहीं हैं, ये जन.जीवन में उत्कृष्टता लाने का सशक्त माध्यम हैं। उत्तराखण्ड इस दिशा में एक आदर्श बनकर उभर सकता है। हमारे राज्य के पास ऐसी क्षमतायें हैं जो पूरे विश्व को पीस व स्पिरिचुअल पावर दे सकता है।
माननीय सांसद श्री नरेश बंसल जी ने कहा कि आज का भारत मेड इन इंडिया से आगे बढ़कर मेड इन इंडिया – मेड टू स्टैंडर्ड की दिशा में अग्रसर है।
माननीय सांसद श्रीमती कल्पना सैनी जी ने कहा कि मानक केवल तकनीकी प्रगति का नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और समाजिक सुरक्षा का भी आधार हैं।
बीआईएस के संयुक्त निदेशक श्री श्याम कुमार जी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से न केवल उद्योग जगत बल्कि आम जन में भी मानकों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ और पूज्य स्वामी जी और माननीय राज्यपाल जी की गरिमामयी विदाई के साथ इस ऐतिहासिक दिवस का प्रेरणा और गुणवत्ता के साथ समापन हुआ।