हरिद्वार में भव्य विजय दशमी उत्सव: आरएसएस शताब्दी वर्ष के अवसर पर शस्त्र पूजन व पथ संचलन

सम्पादक प्रमोद कुमार
हरिद्वार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष (1925-2025) के पावन अवसर पर शिव बस्ती, रानीपुर नगर, हरिद्वार में श्री विजय दशमी उत्सव का आयोजन धूमधाम से किया गया। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, सेक्टर-2, भेल रानीपुर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में शस्त्र पूजन, मुख्य वक्ता का प्रेरक भाषण और विशाल पथ संचलन ने सभी को प्रभावित किया।
 
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता योगेश्वर जी (सह विभाग शारीरिक प्रमुख, हरिद्वार) और कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. शशिकांत जी (शास्त्री नगर) की उपस्थिति में हुआ। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री लोकेंद्र दत्त अंथवाल जी के साथ सामूहिक रूप से शस्त्र पूजन किया गया, जो विजय दशमी के पावन संदेश को जीवंत कर गया। मुख्य शिक्षक नंदन जी के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का संचालन मनमीत जी ने कुशलतापूर्वक किया।
उत्सव के मुख्य आकर्षण के रूप में शिव बस्ती में आयोजित पथ संचलन में कुल 254 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इसमें पूर्ण गणवेश में 175, मातृ शक्ति के 45 सदस्यों और अन्य 34 स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी रही। यह संचलन संघ की अनुशासनबद्धता और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बना।
मुख्य वक्ता का प्रेरक भाषण मुख्य वक्ता योगेश्वर जी ने अपने विस्तृत और प्रेरक भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित यह संगठन आज एक सदी का गौरवपूर्ण सफर पूरा कर चुका है। इस अवधि में संघ ने समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़कर राष्ट्र निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, “विजय दशमी का यह पर्व केवल भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमें अपने भीतर की कमियों पर विजय प्राप्त करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है।”
योगेश्वर जी ने आगे कहा कि आज के समय में जब समाज में वैचारिक और सांस्कृतिक विघटन की चुनौतियां बढ़ रही हैं, तब संघ का शताब्दी वर्ष हमें एकजुट होकर भारतीय संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के लिए संकल्प लेने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे अनुशासन, समर्पण और सेवा के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें और राष्ट्र के विकास में योगदान दें। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, और सामाजिक समरसता जैसे क्षेत्रों में संघ द्वारा किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया और युवाओं से इन पहलों में सक्रिय रूप से जुड़ने का आग्रह किया।
उन्होंने विशेष रूप से मातृ शक्ति की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “हमारी मातृ शक्ति समाज की रीढ़ है। उनकी भागीदारी से ही हम एक सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।” योगेश्वर जी ने विजय दशमी के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को भी रेखांकित किया, जिसमें उन्होंने भगवान राम के आदर्शों को अपनाने और अधर्म पर धर्म की विजय के संदेश को जीवन में उतारने पर बल दिया।
कार्यक्रम में मोहित जी, अरुण जी, जागेश जी, देव कृष्ण जी, रविंद्र उछोली जी, अमित थपलियाल जी सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक, अभिभावक और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक बना, बल्कि आरएसएस की शताब्दी यात्रा को स्मरण करने का अविस्मरणीय अवसर भी सिद्ध हुआ।