11 October 2025

पंतजलि गुरुकुलम् का आठवां वार्षिकोत्सव संपन्न

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सम्पादक प्रमोद कुमार

हरिद्वार, 11 अक्टूबर : भारतीय शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत संचालित पतंजलि गुरुकुलम् का वार्षिकोत्सव पतंजलि विश्वविद्यालय स्थित बृहद् सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में शीर्ष संतों के मध्य पतंजलि योगपीठ के परामाध्यक्ष स्वामी रामदेव ने कहा कि हमारे प्राचीन गुरुकुलों की गुरु-शिष्य परंपरा में ज्ञान के साथ-साथ नैतिकता, चरित्र की शुद्धता, वाणी-व्यवहार में मृदुता तथा आचरण सिखाया जाता था। प्राचीन गुरुकुलों से शिक्षित होकर विद्यार्थी विश्व का नेतृत्व करते थे। पतंजलि गुरुकुलम् भी प्राचीन ऋषि परंपरा का अनुसरण कर विद्यार्थियों को विश्व नेतृत्व के लिए तैयार कर रहा है। स्वामी जी ने बताया कि पतंजलि गुरुकुलम् में तीन से पाँच साल के बच्चों से लेकर 12वीं कक्षा तक देश के लगभग सभी प्रांतों के बच्चे अध्ययनरत हैं।

 

उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद, भगवान वस्वन्ना, संत मणिबाड़ेश्वर, संत ज्ञानेश्वर, संत रविदास, संत कबीरदास आदि सभी पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओं ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, बंधनों, भेदभाव की सारी दीवारों को तोड़कर एकत्व, सहअस्तित्व, सामंजस्य का संदेश दिया। उन्होंने हमें बताया कि सम्पूर्ण सृष्टि में एक ही ब्रह्म, एक ही परमात्मा का सर्वत्र वास है। इन तत्वों व दिव्य संदेशों तथा सनातन के शाश्वत सत्यों को पूरी मानवता के लिए पूर्ण प्रामाणिकता के साथ समाज में संप्रेषित किया। हमें बताया कि वेद में कोई भेद नहीं है। स्वामी जी ने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम् के आचार्यगण विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं जिससे उनका जीवन का उत्कर्ष प्राप्त कर रहा है।

कार्यक्रम में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम् भारत की कालजयी, मृत्युंजयी संस्कृति, आर्ष परंपरा और वैदिक संवेदनाओं के संरक्षण-संवर्धन की अद्भुत प्रयोगशाला है। पतंजलि गुरुकुलम् के विद्याथिर्यों में मानवीय चेतना का उन्नत स्वरूप जागृत हो रहा है। पतंजलि गुरुकुलम् का यह दीप स्वामी रामदेव जी ने प्रकाशित किया है जो पूरे विश्व को प्रकाशित करेगा।

आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम् से भारतीय संस्कृति, सनातन परंपराओं व मान्यताओं को बल मिला है। पतंजलि में बच्चे न केवल ज्ञानार्जन कर रहे हैं अपितु संस्कारित भी हो रहे हैं। उनके अभिभावकों ने जिन संस्कारों के लिए अपने बच्चों को पतंजलि भेजा है, वे भी आज गौरवान्वित अनुभव कर रहे होंगे। उनके स्वप्न उनके बच्चे पतंजलि के माध्यम से साकार कर रहे हैं।

परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम् के बच्चों को देखकर जो मैंने अनुभव किया, भावी पीढ़ियों में इन्हीं शाश्वत सत्यों को उद्घाटित करने की आवश्यकता है। देश का दुर्भाग्य है कि जो छपना चाहिए था वह छिपाया गया और जो था ही नहीं वह दिखाया जाता रहा। देश के वास्तविक इतिहास के मूल में सनातन ही है। आज का समय भारत को भारत की आँखों से देखने का है और पतंजलि गुरुकुलम् इसमें अहम भूमिका निभा रहा है।

महामण्डलेश्वर हरिचेतना नंद जी महाराज ने कहा कि इस धराधाम पर अधुनातन काल से संतों की जो लब्ध प्रतिष्ठित श्रृंख्ला चली आ रही है, स्वामी रामदेव जी महाराज उस श्रृंख्ला की अहम कड़ी हैं। पतंजलि गुरुकुलम् से स्वामी रामदेव जी ने सनातन का संदेश पूरी दुनिया को दिया है।

कार्यक्रम में शैक्षणिक, क्रीड़ा तथा शास्त्र प्रतियोगिताओं में पतंजलि गुरुकुलम् के विजेता प्रतिभागियों को पुरुस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम में पतंजलि गुरुकुल ज्वालापुर, पतंजलि कन्या गुरुकुलम् देवप्रयाग, पतंजलि गुरुकुलम् हरिद्वार के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य तथा नाट्य प्रस्तुतियाँ दीं जिससे उपस्थित अतिथिगण अभीभूत थे।

पतंजलि गुरुकुलम् के अष्टम वार्षिकोत्सव में साध्वी भगवती जी, भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह आदि ने आशीर्वाद उद्बोधन से विद्याथिर्यों को अभिषिक्त किया। इस अवसर पर माता गुलाब देवी, डॉ. यशदेव शास्त्री, साध्वी आचार्या देवप्रिया, डॉ. ऋतंभरा शास्त्री, बहन अंशुल शर्मा, बहन पारूल शर्मा, साध्वी देवमयी, साध्वी देवसुधा, साध्वी देवाराधना, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देवाश्रिता, साध्वी देवांजला, साध्वी देवशक्ति, स्वामी ईशदेव, स्वामी विरक्तदेव आदि उपस्थित रहे।

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