9 September 2025

भक्ति भाग्य एवम कर्म दोनों का उदय कर देती सत्संग हरि की शरणागत करता है श्री महंत रघुवीर दास महाराज

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सम्पादक प्रमोद कुमार

हरिद्वार 22 अप्रैल 2025 (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानन्द) श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े में भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उदगार व्यक्त करते हुए आश्रम के श्री महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा भगवान की भक्ति और भगवान में आस्था मनुष्य के भाग्य और कर्म दोनों का उदय कर देती है हमारे धर्म ग्रंथ श्रीमद् भागवत कथा श्री रामायण जी शिव पुराण सहित अन्य सभी पावन ग्रंथ ईश्वर की महिमा का पावन वर्णन है जिनके अध्ययन करने तथा सुनने मात्र से मनुष्य के जन्मो जन्म के पुण्यों का उदय हो जाता है भक्ति मार्ग ही इस संसार में अपने मानव जीवन को सिद्ध और सार्थक करने का माध्य है जिस प्रकार जीवन सत्य है उसी प्रकार मृत्यु भी अटल सत्य है क्योंकि हम मृत्यु लोक में है यह मृत्यु लोक सिर्फ कर्म के फल पर मनुष्य का लोक एवं परलोक निर्धारित करता है किंतु भगवान हरि भगवान श्री राम की महिमा बड़ी ही अपरम्पार है कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम चाहे इसे किसी भी स्वरूप में भजा जाये परम कल्याणकारी है जो मनुष्य के इस मानव जीवन को तो सार्थक कर ही देता है साथ-साथ परलोक को भी सुधार देता कलयुग का यह करयुग भाग है इधर कर उधर भर कहने का तात्पर्य है अच्छा करोगे अच्छा फल मिलेगा भक्ति करोगे जीवन सार्थक हो जायेगा और अगर निरर्थक कार्य करोगे गलत दिशा की और चलोगे तो अपने बुरे कर्मों के फलों को भिगोगे दरिद्र नारायण गरीब असहाय छोटो पर दया और कुछ पल का हरि सिमरन हमें सार्थकता प्रदान करेगा भगवान राम इस सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है वे तुम्हारे ह्रदय में भी हैं और मेरे हृदय में भी एक बार निस्वार्थ सच्चे मन से पुकारो तो सही वे किसी न किसी स्वरूप में आपके मार्गदर्शन और आपकी सहायता के लियें अवश्य आयेंगे भक्ति भाव से की जाती है ऊपरी मन से की गई भक्ति का कोई मोल नहीं मनुष्य द्वारा की गई दूसरों की सेवा दान सत्कर्म संत सेवा मनुष्य के जन्मो जन्म साथ चलती है और समृद्धि और कीर्ति के रूप में फलीभूत होती है इस संसार में गाय माता की सेवा और गुरु सेवा कभी निरर्थक नहीं जाती संत महापुरुष इस सृष्टि में चलते-फिरते तीर्थ के सामान है तीर्थ के दर्शन करने के लिये आपको स्वयं चलकर जाना पड़ता है तीर्थ यात्रा करनी पड़ती है किंतु एक संत के रूप में कभी भी कहीं भी आपको एक  चलते फिरते तीर्थ के दर्शन का फल प्राप्त हो सकता है इन सब में अपने सतगुरु का मार्गदर्शन महान होता है सतगुरु सूक्ष्म आराधना भजन सत्संग के माध्यम से हमारा लोक एवं परलोक दोनों सुधार देते हैं उंगली पड़कर हमारे सतगुरु हमें भवसागर पार करा देते हैं

 

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