भक्ति कभी अशांत मन कर ही नहीं सकता भक्ति के लिये एकांत चित होना पड़ता है श्री महंत श्यामसुंदर महाराज

सम्पादक प्रमोद कुमार
हरिद्वार( वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद )श्यामपुर स्थित श्री श्याम वैकुंठ धाम के परमाध्यक्ष श्री महंत श्याम सुंदर महाराज ने कहा कभी भटका हुआ मन एकाग्र नहीं हो सकता भक्ति एकांत चित होती है और जो एकाग्र नहीं है वह भक्ति कर ही नहीं सकता अगर कर भी रहा है तो उसकी भक्ति की आवाज भगवान हरि के चरणों तक नहीं पहुंचती भक्ति के लिये मन को एकांत चित करना पड़ता है अगर मन एकाग्र नहीं हो रहा है तो भटके हुए मन से कैसे भक्ति स्वीकार होगी भक्ति एकांत मांगती है चाहे पल भर का ही क्यों ना हो चाहे कुछ पल ही भगवान हरि का नाम सिमरन किया जाये किंतु पूर्ण समर्पण भाव के साथ वह भाव और भक्ति की आवाज सीधे भगवान हरि तक पहुंचती है प्रेम स्वार्थ वशीभूत होता है किंतु भक्ति सदैव समर्पण के वशीभूत होती है।