भगवान राम से मिलने के लिए हृदय में शबरी की तरह भगवान राम को बसाना पड़ता है स्वामी रामचरन दास महाराज

प्रमोद कुमार सम्पादक
हरिद्वार 11 अगस्त 2024 को खड़खड़ी स्थित श्री जनार्दन आश्रम हिल बाईपास रोड में श्री राम चरित्र मानस अखण्ड पाठ के समापन के अवसर पर बोलते हुए स्वामी रामचरन दास जी महाराज ने कहां अगर भक्ति करनी है तो माता शबरी की तरह करो जिसके हृदय में इस शरीर के रोम रोम में भगवान राम का नाम बसा हो भगवान राम की भक्ति बसी हो उस भक्त को भगवान के द्वार पर जाने की आवश्यकता नहीं एक दिन भगवान राम माता शबरी की तरह खुद उसके दर पर दर्शन देने आयेगे अगर कोई साधक संत होते हुए निंदा जलन ईर्ष्या दूसरों से जलनके वशीभूत है तो उसके मन में कहां से भगवान राम बस जायेगे भगवान राम को मन में बसाने के लिए एक वैराग्य पूर्ण मन की आवश्यकता है जो वैराग्य और भगवान राम से मिलन की भक्ति में खोया हो उसके पास जमाने भर की बातों की या तेरा मेरा की कोई जगाह नहीं होती संत संपूर्ण समाज का होता है उसका कोई अपना या पराया नहीं होता अगर कोई अपने आप को संत कहता है और तनिक मात्र भी उसके मन में दूसरों के प्रति किसी प्रकार की ईर्ष्या जलन है तो वह भगवान से सैकड़ो मील दूर है संत महापुरुषों का जीवन समाज को समर्पित होता है जो ईश्वर आराधना और समाज को समर्पित है उसके तो रोम रोम में अपने भगवान राम से मिलने की लकक जगी रहती है जिसका ध्यान अपने आराध्या के चरणों में लगा रहता हूं वह समाज की बुराइयों से अपना और पराया से बहुत दूर होता है गोस्वामी तुलसीदास जी की भक्ति भी माता शबरी के सामान पावन थी एक वैराग्य धारण किये हुए संत के मन में सिर्फ अपने आराध्य से मिलन की इच्छा रहती है इसके अलावा कुछ नहीं वह अपने आराध्य की भक्ति और आराधना बिता देता है संत महापुरुषों द्वारा किये गये धर्म कर्म के कार्यों में जगत कल्याण की भावना निहित होती है उनका तन मन ईश्वर और समाज को समर्पित होता है इस अवसर पर श्री महंत कमलेशानन्द सरस्वती महाराज महंत रघुबीर दास महाराज महंत सूरज दास महाराज साध्वी माता रंजना दास महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज महंत गोविंद दास महाराज श्री महंत रितेश दास महाराज धर्म जी महंत शत्रुघ्न दास महाराज महंत गुरमल सिंह महाराज महंत रवि देव महाराज महंत स्वामी कृष्ण स्वरूप महाराज स्वामी अंकित शरण महाराज महंत बिहारी शरण महाराज महंत राम मुनि महाराज महंत जयरामदास महाराज महंत दिनेश दास महाराज स्वामी कृष्ण देव महाराज महंत विष्णु दास महाराज कोतवाल धर्मदास महाराज कोतवाल रामदास महाराज श्री कालीचरण महाराज सहित भारी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित थे।