12 October 2025

आईआईटी रुड़की ने किफायती नवाचार में वैश्विक पथ का निर्माण किया

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सम्पादक प्रमोद कुमार

• भारत, नीदरलैंड, केन्या एवं मेक्सिको के साझेदारों के साथ तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में हेयुरिस्टिक्स, पाठ्यक्रम एवं संयुक्त उपाधि कार्यक्रमों पर चर्चा की जाएगी।

 

• वैश्विक विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद टिकाऊ, समावेशी व बहुविषयक समाधानों को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट होंगे।

आईआईटी रुड़की, उत्तराखंड, भारत – 09 अक्टूबर 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के डिजाइन विभाग ने नीदरलैंड के इंटरनेशनल सेंटर फॉर फ्रुगल इनोवेशन (आईसीएफआई) एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के ट्रांसडिसिप्लिनरी रिसर्च क्लस्टर ऑन फ्रुगलिटी स्टडीज (टीआरसीएफएस) के सहयोग से “फ्रगल इनोवेशन में ह्यूरिस्टिक्स” पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

 

 

 

इस कार्यशाला में विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों के शिक्षाविदों व वैज्ञानिकों, उद्यमियों, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, सामाजिक उद्यमों तथा उपयोगकर्ता-संचालित समुदायों के विशेषज्ञों सहित विविध प्रतिभागियों का एक समूह एकत्रित हुआ। यह कार्यशाला वास्तव में एक बहु-विषयक मंच के रूप में कार्य करती है, जिसमें भारत, नीदरलैंड, केन्या एवं मेक्सिको के साथ-साथ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), आईआईटी गुवाहाटी, एडोब और गलगोटिया विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मितव्ययी नवाचार में हेयुरिस्टिक्स की साझा समझ विकसित करना व इस उभरते क्षेत्र में सैद्धांतिक ढाँचों के विकास पर विचार-विमर्श करना था। चर्चाओं में भविष्य के सहयोग, संयुक्त शोध परियोजनाओं और प्रकाशन पहलों के लिए मार्ग तलाशने पर भी चर्चा हुई, जिसमें कार्यवाही का दस्तावेजीकरण करने वाली एक प्रस्तावित पुस्तक श्रृंखला भी शामिल है।

आईआईटी रुड़की के निदेशक, प्रो. कमल किशोर पंत ने अपने स्वागत भाषण में उपस्थित लोगों को संबोधित किया और टिकाऊ भविष्य को आकार देने में मितव्ययी नवाचार की भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “मितव्ययी नवाचार एवं बहुविषयक अनुसंधान सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।”

 

 

 

आईसीएफआई, नीदरलैंड के अकादमिक निदेशक प्रोफेसर पीटर नोरिंगा ने सहयोग के दीर्घकालिक महत्व पर जोर देते हुए कहा: “यह कार्यशाला हमें भारत व नीदरलैंड के शिक्षाविदों के संयुक्त प्रयासों से किफायती नवाचार के लिए एक हेयुरिस्टिक्स प्रयोगशाला विकसित करने के हमारे लक्ष्य के करीब पहुंचने में सहायता प्रदान करेगी।”

 

 

 

आईआईटी रुड़की के शैक्षणिक मामलों के कुलशासक प्रोफेसर नवीन कुमार नवानी ने घोषणा की कि संस्थान जल्द ही किफायती नवाचार पर नए शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू करेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि छात्र इस उभरते क्षेत्र में योगदान करने के लिए ज्ञान एवं कौशल से लैस हों, जिससे पूरे भारत के संस्थानों के लिए एक मिसाल कायम हो।

 

 

 

टीआरसीएफएस के समन्वयक एवं जेएनयू में विज्ञान नीति अध्ययन केंद्र के, प्रोफेसर सरदिंदु भादुड़ी ने कहा कि जेएनयू एवं आईआईटी रुड़की, किफायती नवाचार से संबंधित नए शैक्षणिक कार्यक्रम विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिससे संस्थागत साझेदारी और मजबूत होगी।

आईआईटी रुड़की के डिजाइन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अपूर्व कुमार शर्मा ने किफायती नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और कहा कि छात्र समूह पहले से ही संकाय मार्गदर्शन में परियोजनाओं में लगे हुए हैं।

कार्यशाला का समापन आशावादी दृष्टिकोण के साथ हुआ, जिसमें टिकाऊ, सामाजिक रूप से समावेशी और वैश्विक रूप से प्रासंगिक नवाचार की आधारशिला के रूप में मितव्ययिता अध्ययन को आगे बढ़ाने के साझा दृष्टिकोण पर बल दिया गया।

 

 

 

 

 

 

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