27 August 2025

पर्यावरण के गांधी: सुंदरलाल बहुगुणा पर आयोजित विशेष कार्यक्रम

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सम्पादक प्रमोद कुमार 

पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा की प्रेरणा से हरियाली की पहल

 

हरिद्वार 9 जनवरी 2025 को, उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बिझौली में पर्यावरण के गांधी सुंदरलाल बहुगुणा की स्मृति में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के संयोजक, शिक्षक एवं पर्यावरणविद अशोक पाल सिंह ने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित जागरूकता अभियान चलाया।

कार्यक्रम की शुरुआत बहुगुणा जी के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डालने से हुई। उनका जन्म 9 जनवरी 1927 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के मरोड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता अंबादत्त और माता पूर्णा देवी के संस्कारों ने उन्हें प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने हिमालय के जंगलों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन का नेतृत्व किया और 2004 के टिहरी बांध विरोध आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई।

सुंदरलाल बहुगुणा: एक पर्यावरण योद्धा
कार्यक्रम में बहुगुणा जी के योगदान पर चर्चा हुई, जिसमें बताया गया कि कैसे उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को अपना जीवन समर्पित किया। उन्हें ‘वृक्ष मानव’ के रूप में पहचाना जाता है और पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने “पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ” जैसे नारों से जनमानस को जागरूक किया।

कार्यक्रम की मुख्य गतिविधियां
अशोक पाल सिंह के नेतृत्व में छात्रों और शिक्षकों ने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया। उन्होंने बहुगुणा जी के विचारों को साझा करते हुए कहा,
“साँसें हो रही हैं कम, आओ पेड़ लगाएं हम।”
इस संदेश ने उपस्थित जनों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया। कार्यक्रम में बहुगुणा जी की जीवनी और चिपको आंदोलन की उपलब्धियों पर निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।

भविष्य की प्रेरणा
कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और समाज को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना था। अशोक पाल सिंह ने बताया कि बहुगुणा जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके जीवनकाल में थे। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे वृक्षारोपण को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं और पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं।

इस आयोजन ने न केवल छात्रों को प्रेरित किया बल्कि समाज के अन्य लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने की सीख दी। सुंदरलाल बहुगुणा की याद में इस प्रकार के कार्यक्रम हमें उनकी महानता और पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाते हैं।

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