मनुष्य के मन में एकाग्रता होनी चाहिए मन का भटकाव ठीक नहीं श्री महंत रघुबीर दास महाराज

सम्पादक प्रमोद कुमार
हरिद्वार (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानन्द) श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े में अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए आश्रम के श्री महंत परम वंदनीय रघुबीर दास महाराज ने कहा मनुष्य के मन में एकाग्रता होना आवश्यक है जीवन में मां का भटकाव ठीक नहीं जीवन में धैर्य धारण करने का भी एक विशेष महत्व है किसी भी कार्य में बिना सोचे समझे गंभीरता से विचार किये बिना जल्दबाजी में किसी भी मामले में प्रतिभाग करना ठीक नहीं जो लोग मन के बहकावे में आकर मन के बहाव में मन के वसी भूत होकर रहते हैं उनका जीवन सदैव दिक्कतों से घिरा रहता है मन की इंद्रियों के घोड़े पवन वेग से भी तेज दौड़ते हैं और तेजी किसी भी कार्य में ठीक नहीं होती जल्दबाजी में लियें गये निर्णय कई विवादों को जन्म दे सकते हैं जो भी करें सोच समझ कर करें बिना सोचे करना जीवन में असंतोष फैला सकते हैं इसलिये किसी भी कार्य को करने से पूर्व उसका अलग-अलग माइने से तथा गंभीरता से सोच विचार आवश्यक होता है किंतु धर्म कर्म दान सत्कर्म और ईश्वर भक्ति जब मन करे तब कर सकते हैं किंतु बाकी सब में मन के बहकावे में न आये जीवन मे गंभीरता और धैर्य का धारण करना आवश्यक होता है और स्वभाव में निर्मलता होने के साथ-साथ गंभीरता होना भी आवश्यक है जब भी भजन करने की इच्छा हो तो उसमें कोई सोच विचार ना करें दान सत्कर्म करने की इच्छा हो तो उसमें सोच विचार की आवश्यकता नहीं पुण्य कल्याणकारी कार्य आप कभी भी कर सकते हैं।