बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा बुद्धिमान व्यक्ति से मिलता है और अज्ञानी अज्ञानी से महामंडलेश्वर संजय गिरी महाराज महाराज

सम्पादक प्रमोद कुमार
हरिद्वार श्री सदगुरु देव आश्रम कांगड़ी में अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए परम पूज्य अनंत विभूषित महामंडलेश्वर श्री संजय गिरी महाराज ने कहा मनुष्य पर संगत का बहुत बड़ा असर पड़ता है जिस प्रकार ज्ञानी से ज्ञानी मिलता है और नीचे बुद्धि से नीचे बुद्धि मिलता है और पापी से पापी मिलता है कहने का मतलब यह है अगर आपकी संगत अच्छी है आपके संस्कार अच्छे हैं आपके मन में भक्ति बसी हुई है तो आप हमेशा ज्ञानी व्यक्ति की संगत करेंगे किंतु अगर आपके संस्कार अच्छे नहीं है आपकी प्रवृत्ति अच्छी नहीं है तो आप अपनी प्रवृत्ति के अनुसार आपकी प्रवृत्ति के व्यक्ति से ही मिलेंगे पर हमेशा ध्यान रखना कीचड़ में पत्थर मारने से हमेशा कीचड़ आपके आंचल से लिपट जाता है मनुष्य अपनी बुद्धि प्रवृत्ति के लोगों से विचारों का आदान-प्रदान करेंगे क्योंकि आपको अच्छी संगत ग्रहण करनी ही नहीं है आपके संस्कार अच्छे हैं ही नहीं तो आपको अच्छे लोगों की संगत करने का सौभाग्य कैसे मिल जायेगा इसीलिये कहते हैं पापी से पापी मिले बहे ज्ञान की रीत और ज्ञानी से ज्ञानी मिले वह ज्ञान की प्रीत उसे मन धारण कर मेरे मीत मनुष्य के संस्कार उसके स्वभाव में बोलते हैं मनुष्य की वाणी उसके मुख से निकलने वाले वचन जिन्हें शब्द भी कह सकते हैं उसके संपूर्ण जीवन चरित्र का बखान कर देते हैं इसलिये गलत संगत धारण करने से अच्छा है कि आप एकांतवास धारण करें उससे आपका मन एकांत चित होकर प्रतिफूलित हो उठेगा और आपको अच्छे बुरे की परख करने के लियें एकांत चित होकर सोचने का अवसर मिलेगा कहने का मतलब इतना है की मान लिया अगर किसी कुत्ते ने हमारी टांग में काट लिया तो अज्ञानी व्यक्ति उसे छेड़छाड़ कर अन्य लोगों को भी काटने के लियें कुत्ते को छेडेगा या उसके साथ लाठी डंडे से वार करेगा किंतु बुद्धिमान व्यक्ति ऐसा करने से बचेगा क्योंकि वह तो पशु है किंतु ऐसे सद्विचार और ज्ञान गुरु संगत से ही प्राप्त हो सकता है गुरु कृपा बड़ी ही भव तारिणी है।