पतंजलि विश्वविद्यालय में महिला सशक्तिकरण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया

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हरिद्वार,महिला सशक्तिकरण एवं पोषणयुक्त भविष्य: एक स्वच्छ एवं सम्पोषकीय दृष्टिकोण’ विषय पर पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ जिसमे उत्तराखंड सरकार की महिला सशक्तिकरण एवम बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्य जी ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।

कार्यशाला में पतंजलि वि वि के यशश्वी कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि देवभूमि के साथ पूरे देश की नारी को सशक्त करने में पतंजलि हमेशा से आगे रहा है। उन्होंने शिक्षा एवम संस्कार के साथ नारी सशक्तिकरण की भावी योजनाओं की भी विस्तार से चर्चा की और कहा कि मातृ शक्ति की रक्षा मानवीय मूल्यों और सभ्यता को बचाने के लिए जरूरी है।

 

कार्यशाला की मुख्य अतिथि श्रीमती रेखा आर्य जी ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार के विभिन्न प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ’सशक्त नारी ही सशक्त भारत है’ का संदेश देते हुए कहा कि आने वाले समय में उत्तराखंड को देव एवम देवियों की भूमि के रूप में जाना जाएगा।

इस अवसर पर भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ एन पी सिंह ने बताया कि आज पूरे विश्व में महिला सशक्तिकरण केंद्र में है क्योंकि इसके बिना राष्ट्र निर्माण संभव नहीं है। संस्कारों का संरक्षण एवं संवहन नारी के उत्थान के बिना असंभव तथा अधूरा ही होगा।

विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ महावीर अग्रवाल जी ने राष्ट्र निर्माण में महिलाओं के योगदान को याद करते हुए भेदभाव के दृष्टिकोण को समाप्त करने का संकल्प करवाया।

पतंजलि अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डॉ वेदप्रिया आर्या ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी जयंती पर स्मरण किया। उन्होंने नारी के सशक्तिकरण में स्वामी दयानंद सरस्वती जी के योगदान पर भी प्रकाश डाला।

इस अवसर पर संगीत, योग नृत्य, शास्त्रीय नृत्य और योग के विभिन्न स्वरूप की मनमोहक प्रस्तुतियां भी हुई तथा हाल में हुए विविध प्रतियोगिताओं में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।

कार्यशाला का संचालन डॉ आरती पाल ने किया जिसमें पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज, पतंजलि अनुसंधान संस्थान सहित पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शोधार्थी ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में वि वि के कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, विभिन्न संकायों के अध्यक्ष एवम आचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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