जिसके मन से प्रेम समर्पण भाव और श्रद्धा भक्ति समाप्त हो जाती है उसका जीवन अंत की और बढ़ता है श्री श्री आनंदमयी साधना मां

सम्पादक प्रमोद कुमार
हरिद्वार 16 अप्रैल 2025 (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानन्द) दक्ष रोड कनखल स्थित श्री माधव आश्रम श्री श्री आनंदमयी कविता मां आश्रम में भक्तजनों पर अपने श्री मुख से ज्ञान की वर्षा करते हुए गुरु मूर्ति श्री श्री आनंदमयी साधना मां ने कहा जिसके मन से ईश्वर की भक्ति और कुछ पाने और खोने की लालसा समाप्त हो गई हो जिसके मन में प्रेम हिलोरे ना मरता हो कामवासना समाप्त हो गई हो सांसारिक मोह माया से मन तृप्त हो गया हो उसका जीवन शून्य में विलीन होने हेतु तत्पर हो जाता है तथा उसका अंतिम समय निकट होता है अगर लंबी आयु जीनी है तो मन में तृप्ति का कोई स्थान नहीं होता है प्रेम उसके मन में हिलोरे मारता है और कुछ पाने की इच्छा अवश्य रहती है जब कामवासना धर्म और कर्म की इच्छा समाप्त हो जाती है तो जीवन का अंत निकट होता है इसलिये अपने मन की इच्छाओं को जिंदा रखना भी नितांत आवश्यक है चाहे हरि मिलन की आस ही क्यों ना हो।